सरकार के एक पैनल द्वारा एनडीटीवी को एक दिन के लिए बैन किये जाने के फैसले के बाद जनसत्ता के पूर्व सम्पादक व वरिष्ठ पत्रकार ने बड़े सख्त शब्दों का इस्तेमाल किया हैैै
ओम थानवी ने यह टिप्पणी तब की है जब केंद्र सरकार के एक पैनल ने एनडीटीवी पर एक दिन का बैन लगाने का आदेश दिया. दर असल चैनल पर आरोप लगाया गया है कि उसन पठानकोट हमले की जो रिपोर्टिंग की उससे संवेदनशील जानकारियां सार्वजनिक हुईं. जबकि चैनल का कहना है कि उसने जो रिपोर्टिंग की वही रिपोर्टिंग अन्य चैनलों और अखबारों ने की. बल्कि एनडीटीवी की रिपोर्टिंग ज्यादा संतुलित रही. इसके बाद जब रवीश ने अपने प्राइम टाइम शो में सरकार पर कटाक्ष किया तो ओम थानवी ने यह टिप्पणी की.
थानवी की टिप्पणी सोशल मीडिया पर
आज रवीश का प्राइम टाइम ऐतिहासिक था। उस रोज़ की तरह, जब उन्होंने स्क्रीन को स्वेछा से काला किया था, अभिव्यक्ति के संसार में पसरे अंधेरे को बयान करने के लिए। आज उन्होंने हवा में व्याप्त ज़हर के बहाने अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हो रहे प्रहार को दो मूकाभिनय के कलाकारों से ‘सम्वाद’ के ज़रिए चित्रित किया। बहुत मार्मिक ढंग से। उन्होंने सरकार की तंगदिली को बेनक़ाब किया, सबसे भरोसेमंद चैनल को पठानकोट के नाम पर दी जा रही सज़ा और इस तरह की बदनामी की कुचेष्टा का जवाब दिया। मुझे लगा वे भावुक हो जाएँगे। पर भावना और दर्द पर क़ाबू रखते हुए वे मज़े वाले मूड में आ गए। ओछे शासन को हँसते-खेलते धो डाला।
मुझे अब सरकार पर तरस आने लगा है। वह जूते भी खाती है और प्याज़ भी, पर विवेक से काम नहीं लेती।