पंचायत चुनाव टला तो झारखंड की तरह पूर्व मुखिया को मिलेगाअधिकारपंचायत चुनाव टला तो झारखंड की तरह पूर्व मुखिया को मिलेगाअधिकार

तो क्या नवंबर तक टल जाएगा बिहार में पंचायत चुनाव!

ईवीएम खरीद के नाम पर राज्य और केंद्रीय चुनाव आयोगों के बीच जारी कानूनी लड़ाई

बिहार के पंचायत चुनाव की तैयारियों पर पानी फेर सकता है।

इधर पटना हाई कोर्ट सातवीं बार सुनवाई टाल दी है। अगली सुनवाई 12 अप्रैल को लिस्टेड हुई है।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस मोहित कुमार शाह की सिंगल बेंच में चल रही है।

अगर सुनवाई यों ही टलती रही तो पंचायत का चुनाव भी टल सकता है। चुनाव टलने का सीधा असर यह होगा कि सरकार अध्यादेश के जरिय पंचायतों को विघटित कर देगी और ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतराज की जगह ‘अफसर राज’ कायम हो जायेगा।

गौर तलब है कि राज्य चुनाव आयोग नई तकनीक वाली ईवीएम से चुनाव करना चाहती जिसकी अनुमति केंद्र का चुनाव आयोग नहीं दे रहा है। इसी के खिलाफ बिहार का आयोग अदालत जा वहुके है। अदालत विभिन्न कारणों से इस मामले की सुनवाई टालता रहा है।

पंचायतों का कार्यकाल 16 जून को समाप्त हो रहा है। उससे पहले चुनाव कराना होगा। अन्यथा पंचायतें विघटित कर दी जायेंगी।

इस प्रकार फरवरी, मार्च व अप्रैल में लगातार अदालत ने सुनवाई ताल दी। हालांकि अदालत कह चुका है कि दोनों चुनाव आयोगों को आपसी सहमति से फैसला कर लेना चाहिये। लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला है।

इस बीच राजद नेता चितरंजन गगन ने झह है कि पंचायत चुनाव को लेकर बिहार सरकार की मंशा ठीक नहीं है। वह एक सुनियोजित साजिश के तहत पंचायत चुनाव को टाल कर जिला परिषदों , पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों को अवक्रमित कर बिहार में “अफसर राज ” स्थापित करना चाह रही है।

अगर समय पर कोई फैसला नहीं हो सका और चुनाव टाल दिया गया तो नवम्बर तक चुनाव करना मुमकिन नहीं होगा। क्योंकि जून के बाद मानसून की बारिश से आधा बिहार जलमग्न रहता है। ऐसे में अक्टूबर नवम्बर तक चुनाव टलने की आशंका दिखने लगी है।

By Editor


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