यह हैं राम माधव. इन्हें पहचानने के लिए सिर्फ नाम काफी है. इनका एक सिद्धांत है. घृणा की सौदागरी. नफरत के बोल बोलो. लोगों के दिलों में जहर बोने के लिए सफेद झूठ भी बोलना पड़े तो बोल दो.  

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इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन

इनके झूठ का सिद्धांत यह है कि  झूठ की खेती करने में अगर नहीं पकड़े गये तो बल्ले-बल्ले, पकड़े गये तो माफी- वाफी मांग के पतली गली से निकलने का रास्ता है न.

आरएसएस के बरास्ते भाजपा में महामंत्री बने माधव ने झूठ का और नफरत का ऐसा शिगुफा छेड़ा कि देश के गरिमामय पद पर बैठे उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को भी नहीं बख्शा.उनके खिलाफ जहरीली अफवाहबाजी फैलाई. सफेद झूठ बोला और कहा कि हामिद अंसारी  योग दिवस पर राजपथ पर योग करने नहीं आये.

ले बाबू. देश का कोई भी आदमी यह सुने तो सकते में आ जाये. एक साधारण बुद्धि का नागरिक भी पहली बार में इस बात को सुने तो वह भी दुख और क्रोध से भर जाये कि आखिर हामिद अंसारी ने योग का अपमान क्यों किया? इसलिए स्वाभिक तौर पर लाखों लोगों के दिलों में हामिद अंसारी के खिलाफ नफरत की भावना उफान मारने लगी. देश भर में यह चर्चा का विषय बन गया.

एक झूठ को छुपाने के लिए दूसरा झूठ

माधव अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे. वह तो यह चाहते थे कि हामिद को मुसलमान होने के कारण घृणा का शिकार बना दिया जाये. चूंकि माधव का मकसद पूरा हो चुका था इसलिए उन्होंने बाद में झूठ को छुपाने के लिए और झूठ बोला. माधव ने ट्विटर पर लिखे अपने बयान को हटाया और कहा कि मुझे पता चला है कि उपराष्ट्रपति बीमारी के कारण नहीं आये. इसलिए सारी.

लेकिन माधव ते ताबड़तोड़ झूठ बोलने पर अब उप राष्ट्रपति का कार्यालय हरकत में आया.  फिर उसने माधव के घृणित चेहरे को आईना दिखाते हुए बता दिया कि उन्हें सरकार ने आमंत्रित ही नहीं किया. इसके बाद राम माधव ने चुप्पी साधी. लेकिन माधव का  अभी  और छीछालेदर होना अभी बाकी था.आयुष मंत्रालय के मंत्री  श्रीपद नाइक ने साफ किया कि जिस कार्यक्रम में प्रधान मंत्री चीफ गेस्ट होते हैं, उसमें राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को निमंत्रण दिया ही नहीं जाता. यह प्रोटोकॉल के खिलाफ है. मंत्रालय के इस बयान के बाद संभव है कि राम माधव के पास अगर जमीर हो, तो शायद जाग जाये. लेकिन इसकी संभावना कम ही है. क्योंकि झूठ बोलने की आदत बदलना आसान नहीं.

अमितशाह पर चुप्पी क्यों

लेकि सवाल यह है कि राम माधव ने ऐसी ओछी बयानबाजी सिर्फ इसलिए नहीं की कि मुस्लिम उपराष्ट्रपति के धर्म के नाम पर हिंदू समुदाय के कुछ लोगों में मुसलमानों के खिलाफ जहर भरा जाये? क्योंकि उन्होंन हामिद अंसारी को कठघरे में खड़ा तो किया पर खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर क्यों चुप हो गये जिन्होंने पटना में योग कार्यक्रम में होने के बावजूद योग नहीं  किया. जबकि वहां मौजूद लोग चिल्ला चिल्ला कर आग्रह करते रहे फिर भी अमित शाह ने एक न सुनी.

तो सुनिये राम माधव. दुनिया जानती है कि आप इतने भोले नहीं कि आपको साधारण बातें भी नहीं मालूम होती होंगी. दर असल आप घृणा और अफवाह की सौदागरी करते हैं. यह सोचे बगैर, कि पकड़े जाने के बाद आपका कितना छीछा लेदर होगा. क्योंकि आपको पता है कि जब पकड़ें जायेंगे तो माफी मांग लेंगे. जैसा कि आपने माफी मांग ली. सवाल यहां माफी मांगने का नहीं है. सवाल यह है कि आप घृणा के बीज बो गये, यह आपकी मंशा थी. आप सफल रहे. भले ही आप की विश्वसनीयता समाज के चंद लोगों के अलावा कहीं हो या न हो.

By Editor

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