मुलायम कुनबा तूटने से बच गया. वह कुनबा जिसका बस एक दिन पहले टूटने का ऐलान कर दिया गया था. उन अखिलेश यादव को जिन्हें मुलायम ने पांच साल पहले उत्तर प्रदेश जीत कर अपने बेटे के हवाले किया था उन्हीं अखिलेश यादव को छह साल के लिए पार्टी से निकाल देने का ऐलान हुआ.
नौकरशाही ब्यूरो
ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि इस बिखर चुके कुनबे को किसने एक किया.
इस कुनबे के बिखराव के बारे में अखिलेश यादव जिस एक बाहरी नेता को सबसे बड़ा फैक्टर मानते रहे हैं वह कभी के प्रिय अंकल हुआ करते थे. यह अंकल कोई और नहीं अमर सिंह थे. अखिलेश अमर से पिछले एक साल में इतने नाराज रहे हैं कि उन्हें बाहरी तक कहते रहे हैं. खैर इस बिखराव के ऐलान के बाद महज 20 घंटे में ही मुलायम के खासमखास शिवपाल यादव ने ऐलान कर दिया कि नेता जी ने अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव के निस्काषन को वापस ले लिया है.
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लेकिन सवाल यह है कि मुलायम के इस समाजवादी कुनबे को टूटने से किन लोगों ने बचाया और किन लोगों की पहल रंग लायी जिससे अखिलेश की वापसी संभव हो सकी.
इस कुनबे को बिखरने से बचाने के लिए तीन महत्वपूर्ण नाम सामने आ रहे हैं. इनमें से एक हैं आजम खान, दूसरे लालू प्रसाद. आजम खान ने लखनऊ में रहक कर मोर्चा संभाला तो लालू ने शनिवार सुबह से ही मुलायम और अखिलेश के सम्पर्क में आ गये.
उधर आजम खान समाजवादी पार्टी के ऐसे चंद नेताओं में से हैं जो मुलायम परिवार के बाहर के होते हुए अखिलेश, मुलायम और शिवपाल तीनों के लिए सबसे विश्वस्नीय बन कर फिर उभरे हैं. आजम ने बीते 48 घंटे में कई बार अखिलेश और मुलायम से अलग अलग बात की. आजम खान भी इस दौरान कई बार अकेले तो कई बार तीनों को साथ ले कर मीटिंग कराई.
उधर लालू प्रसाद ने सूरज निकलते ही अखिलेश से सम्पर्क साधा. उन्हें समझाया कि मुलायम की 24 वर्षों की साधना को झटके में तार-तार न करें.इसे बचाओ. लालू ने समझाया कि यह वही मुलायम हैं जिन्होंने पांच साल पहले यूपी को जीत कर आपके हवाले कर दिया था. और अब जब दूसरी बार जीत के करीब हैं तो यह बिखराव खतरनाक हो सकता है. उधर लालू साथ ही साथ मुलायम के सम्पर्क में रहे. लालू ने मुलायम से कहा कि यह समय युनाइट रहने का है. साम्प्रदायिक शक्तियों को मात देने का है. ऐसे में बिखराव से, आप जीती हुई बाजी हार सकते हैं. लालू, और आजम खान की पहल रंग लायी. लालू ने ट्विटकर लिखा भी कि उन्होंने अखिलेश को मनाया कि वह नेता जी के पास जायें और समस्या पर बात करें.
दो चार घंटे के इस तिकोनीय प्रयास ने अपना रंग दिखाया. अखिलेश मुलायम से मिलने पहुंचे. भावुक अंदाज में अपनी बातें कहीं. यह भी कहा कि नेताजी को हम यूपी जीत कर तोहफे में देंगे. इन सब बातों का बड़ा नतीजा सामने आया और मात्र 20 घंटे में