यूं तो बिहार में कई घोटाले हुए पर सबसे ज्यादा चर्चित हुआ अस्सी के दशक का चारा घोटाला और उसके बाद की तीसरी पीढ़ी यानी अब का टॉपर घोटाला।
विनायक विजेता
पहले हम बात करें 80 के दशक में हुए चारा घोटाले की। बहुत कम लोगों को पता है कि चारा घोटाले के असली सूत्रधार कौन थे? जो असली सूत्रधार थे उनका नाम कहीं नहीं आया. और वो आज भी संवैधानिक पद पर विराजमान हैं। चारा घोटाला के असली और प्रमुख सूत्रधार 1990 के तत्कालीन कांग्रेसी विधायक विजय कुमार चौधरी थे जिन्होंने घोटालबाजों को बचाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को एक पत्र लिखा।
विवादित छवि के लालकेश्वर को क्यों दी जिम्मेदारी
तत्कालीन विरोधी दल नेता डा.जगन्नाथ मिश्र ने विजय चौधरी के लिखे पत्र का हवाला देते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को पत्र लिखा। लालू प्रसाद ने भी नेता विरोधी दल के पत्र पर अपना हस्ताक्षर कर उसे संबंधित विभाग को भेज दिया। महज हस्ताक्षर करने वाले लालू प्रसाद और डा.जगन्नाथ मिश्र इस घोटाले में किस कदर फंसे यह जग जाहिर है पर घोटाले के सूत्रधार की आज भी बल्ले-बल्ले है।
चारा घोटाले का प्रतिरूप
इस मामले के लगभग तीस वर्ष बाद हुआ बिहार का टॉपर घोटाला भी चारा घोटाले का ही मिलता जुलता स्वरुप है जिस घोटाले के सूत्रधार साफ बचे हुए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह सार्वजनिक करना चाहिए कि किसकी अनुशंसा पर उन्होंने पूर्व से ही विवादित छवि वाले लालकेश्वर प्रसाद सिंह को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का अध्यक्ष बनाया।
चार वर्षों से चल रहा बोर्ड में घोटाला
मामले की तह तक जाएं तो इस मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री वृषण पटेल और उनके बाद बने शिक्षा मंत्री पी के शाही भी उतने ही दोषी हैं जितना लालकेश्वर प्रसाद और इस रैकेट से जुड़े अन्य लोग। ऐसा नहीं कि बोर्ड में यह खेल कुछ दिनों या कुछ माह से चल रहा था। बीते चार वर्षों से यह खेल चल रहा था जिसकी जानकारी पूर्व के दोनों शिक्षा मंत्रियों को भी थी। मैं यह लिखने और कहने में तनिक संकोच नहीं करता की नीतीश कुमार की इमानदारी पर अंगुली नहीं उठायी जा सकती पर नैतिकता का तकाजा है कि वह इस मामले में तथ्यो को सामने रखें. अपने पहले पांच वर्षों के कार्यकाल में नीतीश कुमार ने जिस तरह स्कूली छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने का काम किया था उसी का पुरस्कार उन्हें 2010 के चुनाव में मिला। अभिभावक अपने बच्चों में नीतीश कुमार का अक्स देखते थे पर वही अभिभावक कल के नायक को अब खलनायक मानने लगे है और बच्चों की पढाई से ज्यादा ‘जुगाड़ तकनीकी’ पर विश्वास करने को बाध्य हो चले हैं।
रूबी राय की भूमिका
जहां तक टॉपर घोटाला मामले में शनिवार को रुबी राय की गिरफ्तारी की बात है तो मेरी समझ में या तो यह पुलिस की अदुूदर्शिता है या फिर इस मामले के आरोपितों को बचाने की कोई पूर्व नियोजित साजिश! टॉपर घोटाले में आरोपित लालकेश्वर सहित सभी आरोपितों पर भादवि की समान धारा में ही मामला दर्ज है। रुबी एक परीक्षार्थी थी। उसने अपनी कॉपी में क्या लिखा या नहीं लिखा इसकी जांच की जिम्मेवारी परीक्षकों की थी और इसमें गलती उसके अभिभावकों की थी। इसमें नाबालिग रुबी की कहीं कोई भूमिका नजर नहीं आती। संभव है इसी आधार पर रुबी को जल्द ही न्यायालय से जमानत मिल जाएगी। अगर रुबी को जमानत मिल जाती है तो समान धारा में ही जेल में बंद अन्य आरोपितों को भी रुबी की जमानत के आधार पर जमानत मिल सकती है। इस मामले में शामिल परीक्षार्थियों पर मुकदमा दर्ज करने के बजाए पुलिस उन्हें अपने गवाह के रुप में पेश करती तो यह ज्यादा उचित था।