भ्रष्चार और सुशासन जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने का दावा करने वाली पार्टियों के चेहरे के पीछे छुपे साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण पर जस्टिस सच्चर के सवालों का उनके पास जवाब नहीं है.
एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने एक भारत, सशक्त भार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर चुनवा लड़ने का दावा कर रही है वहीं बसपा और समाजवादी पार्टियां भाजपा को साम्प्रदायिक पार्टी कह रही हैं लेकिन व्यवहार में तमाम पार्टियां साम्प्रदायिक और जातीय ध्रवीकरण को बढ़ावा देने में लगी हैं. राजनीतिक दलों के इस रवैये को जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने आड़े हाथों लिया है और मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी को लोकसभा टिकट देने पर बुधवार को राजनीतिक दलों पर तीखा हमला बोला और कहा कि उनका रवैया शर्मनाक है.
सच्चर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि “जिन लोगों के खिलाफ दंगों को लेकर मुकदमे चले हों, उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया गया है. यह सब राजनैतिक पार्टियों की मानसिकता को ही दर्शाता है”.
‘फोरम फार डेमोक्रेसी एंड कम्युनल एमिटी’ की रिपोर्ट जारी करते हुए सच्चर ने कहा कि अगर आप साम्प्रदायिकता के विरोध हैं तो इसे साबित भी करना होगा. लेकिन दुर्भाग्य है कि इस मामले में कोई भी पार्टी संवेदनशील नहीं है.
ध्यान देने की बात है कि मुजफ्फरनगर दंगा भड़काने के मामले में भाजपा विधायक हुकुम सिंह मीणा और बसपा के सांसद कादिर राणा पर आरोप लगे हैं और दोनों के खिलाफ मामला दर्ज है.
उल्लेखनीय है कि दंगों के दो आरोपी हुकुम सिंह और कादिर राणा आगामी लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं.