दहशहत और खौफ पैदा करने वाली इस खबर को पढ़ कर आप सोचने को मजबूर हो जायेंगे कि कैसे भागलपुर में दबंग मुसलमानों ने दंगा पीड़ित 15 गरीब मुसलमानों के घरों को बुल्डोजर से रौंद डाला.
नौकरशाही ब्युरो
तुर्रा यह कि जब इन गरीबों की एफआईआर पर दबंगों को गिरफ्तार किया गया तो वे दूसरे ही दिन हवालात से बाहर आ गये और उन गरीबों को अब जान से मारने की धमकी दे रहे हैं.
भागलपुर के हबीबपुर थाना के शाहजंगी गावं के मोहम्मद अली इमाम समेत दीगर 14 लोगों के घरों को बीते 22 अप्रैल को बुल्डोजर चला कर निस्त नाबूद कर दिया गया{देखें तस्वीर}. इसकी शिकायत अली इमाम ने बाजाब्ता हबीबपर पुलिस को लिखित रूप से की.
पहले दंगाइयों ने लूटा अब अपनों ने
अली इमाम और उनके पड़ोसी वही लोग हैं जो भागलपुर दंगों में सब कुछ लुट जाने के बाद हबीबपुर के शाहजंगी गांव में आकर तीन साल पहले बसे थे. अली इमाम ने इस जुर्म के लिए हबीबपुर के पूर्व मुखिया व पैक्स के मौजूदा अध्यक्ष के भाई मो. इस्माइल, मों. जुल्फी, मो. आलम और जेसीबी के चालक मो. शमसुद्दीन को प्रथम अभियुक्त बनाते हुए एफआईआर संख्या 30/15 दर्ज करायी थी. अली इमाम का कहना है कि हबीबपुर पुलिस ने भारी रिश्वत लेकर इन मुख्य अभियुक्तों का नाम अभियुक्त से हटा कर इस घटना का चश्मे दीद गवाह के रूप में कर दिया. नतीजा यह हुआ कि ये लोग गिरफ्तारी के दूसरे दिन ही छूट गये.
अली इमाम कहते हैं कि तीन वर्ष पहले उन्होंने इस गांव में जमीन खरीद कर घर बनाया था. उसी के बाद से दबंगों द्वारा रंगदारी मांगी जा रही थी. वे बराबर उन्हें जान से मारने और घर को बुल्डोजर से ध्वस्त करने की धमकी देते थे.
अली इमाम का कहना है कि कुछ दिन पहले भी उन्होंने पुलिस में शिकायत की थी लेकिन पुलिस उनसे मिली हुई है और पुलिस ने कुछ ले-दे कर मामला खत्म करने को कहा था. जिसके बाद उन्हें लगा कि पुलिस खुद जब अपराधियों से मिली हो तो इंसाफ की उम्मीद नहीं की जा सकती.
अब अली इमाम ने इस मामले की शिकायत बिहार सरकार तक पहुंचायी है लेकिन अभी तक उस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है.
जीवन तबाह
इस बीच राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के नेता नूर हसन आजाद के नेतृत्व में एक दल गांव का दौरा कर लौटा है. नूर हसन आजाद ने आरोप लगाया है कि दबंग मुसलमानों ने गरीब और पिछड़े मुसलमानों के जीवन को बरबाद करके छोड़ दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि गांव के पूर्व मुखिया और उनके रिश्तेदार राष्ट्रीय जनता दल के नेता हैं जिनका बड़ा राजनीतिक रसूख है.
नूर हसन का कहना है कि1989 के भागलपुर दंगे में इन लोगों को जितना नुकसान साम्प्रदायिक शक्तियों से नहीं हुआ उससे ज्यादा नुकसान खुद दबंग मुसलमानों ने इनका किया है लेकिन पुलिस प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व पिछले पंद्रह दिनों से चुप है. उन्होंने कहा कि इस्लाम और भाईचारे की दुहाई देने वाले ताकतवर मुसलमानों ने, तिनका-तिनका चुन कर जिंदगी संवारने की कोशिश में लगे गरीब मुसलमानों को लूट कर यह साबित कर दिया है कि अपराधियों का कोई मजहब नहीं होता. [इसी बुल्डोजर से घरों को रौंदा गया]
नूर हसन आजाद ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह इस मामले की जांच कराये और आरोपियों को सजा दिलवाये. उन्हों ने मांग की है कि इस मामले में मोटी रिश्वत लेने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाये.