जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने स्वघोषित मुस्लिम नेतृत्व को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि जब से मुस्लिम नेता और उलेमा ‘दरबारी राजनीति’ में लगे हैं तब से मुसलमानों की न तो सामाजिक हैसियत रही है और न ही राजनीतिक हैसियत.
अशफाक रहमान ने अपने बयान में कहा है कि मुसलमानों की सामाजिक व राजनीतिक नेतृत्व ने खुद मुसलमानों को टुकड़ों-टुकड़ों में बांट कर कमजोर कर दिया है इसका परिणाम यह है कि वे पिछले 70 वर्षों में लगातार पीछे चले गये हैं. उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज में कौन सी ऐसी बुराई है जिससे वे बचे हैं. उन्होंने कहा कि हम (मुसलमान) हत्या हिंसा में, आपसी झगड़े में यहा तक कि कब्रिस्तानों और मस्जिदों के बंटवारे में हम उलझे हुए हैं.
हारे हुए नेतृत्व के हाथों में उलझा है मुसलमान
अशफाक रहमान ने इस बात के लिए अफसोस जताया कि मुसलमान मनोवैज्ञानिक तौर पर हारे हुए नेतृत्व के हाथों में उलझ गये हैं जिसके कारण मुसलमान जबर्दस्त मायूसी के शिकार हैं और वह किसी भी क्षेत्र में जीत पाने की उम्मीद छोड़ चुके हैं. यही कारण है कि सर्वस्वीकार मुस्लिम नेतृत्व की बात तक करने वाला अब कोई नहीं है.
अशफाक रहमान ने कहा कि अब ऐसे काम नहीं चलेगा बल्कि मुसलमानों को हारी हुई मानसिकता से बाहर निकल कर एक प्लेटफार्म और एक नेतृत्व के साथ आना होगा. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में नेतृत्व सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए जब तक मुसलमान मजबूत नेतृत्व विकसित नहीं करते तब तक वह किसी क्षेत्र में कामयाबी की उम्मीद नहीं कर सकते.