बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने पीएमसीएच के अनुसूचित जाति के दो जूनियर डॉक्टरों की बेरहमी से हुई पिटाई को गंभीरता से लिया है.
आयोग ने संबंधित थाने को कहा है कि पिटाई करने वाले छात्रों के खिलाफ एससी-एसी ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्जी की जाये.
ध्यान रहे कि सर्जरी विभाग के समान्य वर्ग के जूनियर डॉक्टरों ने एनेस्थीसिया विभाग के अनुसूचित जाति से आने वाले जूनियर डॉक्टरों की दिनांक 9 अग्सत को जमकर पिटाई कर दी. मारपीट की इस घटना में डॉ0 आलोक कुमार एवं डॉ0 राकेश कुमार घायल हैं. इन जूनियर डॉक्टरों का सीधा आरोप है कि उनका अनुसूचित जाति का होना ही उनकी पिटाई का कारण बना है. डाक्टरों का कहना है कि काफी दिनों से उनकी जाति और उनके ज्ञान के स्तर को लेकर छीटाकशी की जाती थी. इसका विरोध करने पर सामान्य वर्ग के छात्रों ने उनकी पिटाई कर दी. उधर सामान्य वर्ग के छात्रों ने इस मुद्दे पर अभी भी चुप्पी बना रखी है.
पहले भी हुई है ऐसी घटना
मात्र दो महीना पहले ही पीएमसीएच मैं ऐसी घटना घटी थी. तब निराला नामक एक दलित तक्निशियन की पिटाई हुई थी. एससी कमिशन के अध्यक्ष विद्यानंद विकल कहते हैं कि इस मामले को भी कालेज प्रशासन ने दबा दिया था. विकल यह भी बताते हैं कि 2009 में भी दलित छात्रों के साथ मारपीट की गयी थी. उस समय यह झगड़ा मेस को लेकर हुआ था.
ताजा मामले में घायल छात्रों का कहना है कि इस घटना की जानकारी देने के बाबजूद भी विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य दोषियों के बिरुद्ध करवाई करने बजाय मामले को लीपापोती करने का प्रयास कर रहे हैं. इसके बाद अनुसूचित जाति के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये और इस मामले को राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल के समक्ष अपनी शिकायत रखी.
आयोग के अध्यक्ष ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पीरबहोर थाने से कहा है कि वह इस मामले में एससी-एसटी ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई करे. विकल ने इस मामले को खिलाफ पुलिस महानिरीक्षक (कमजोर वर्ग) बिहार एवं वरीय पुलिस अधीक्षक-पटना तथा थानाध्यक्ष-पीरबहोर को प्राथमिकी दर्ज कर दोषियों के बिरुद्ध त्वरित करवाई करने के लिए निदेर्शित किया ताकि भविष्य में इस तरह की घटना पर रोक लगायी जा सके.
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