पटना में छात्रवृत्ति को लेकर दलित छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पथराव और पुलिस लाठीचार्ज का मुद्दा आज लोकसभा में उठा और विभिन्न राजनीतिक दलों ने राज्य की नीतीश सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि दलितों के मसीहा बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा के नीचे दलित छात्रों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। उन्होंने कहा कि यह दलित छात्र छात्रवृत्ति में कटौती के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बिहार में दलित छात्रों की हालत बहुत खस्ता है। उनके लिए बनाये गये अम्बेडकर छात्रावास में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। पासवान ने आरोप लगाया कि प्रदेश की सत्ता में बैठे लोग दलित समुदाय को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं। उन्होंने इस मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की। राष्ट्रीय जनता दल से निष्कासित राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने यह मुद्दा उठाने के साथ ही आरोप लगाया कि राज्य में एक तानाशाह सरकार ऐसा काला कानून लेकर आयी है कि किसी के भी घर में यदि शराब पायी जाती है तो उसके माता पिता को गिरफ्तार कर लिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि हिटलर और चंगेज खान ने भी ऐसे तानाशाही पूर्ण तरीके से शासन नहीं चलाया होगा जैसा बिहार की सरकार चला रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे काले कानून को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। राजेश रंजन ने कहा कि खगड़िया में पिछले दिनों चार दलित छात्रों की मौत हो गयी और अब पटना में छात्रों पर लाठीचार्ज किया गया। उन्होंने भी पटना लाठीचार्ज मामले की सीबीआइ से जांच कराने की चिराग पासवान की मांग का समर्थन किया।