दवा घोटाले की जांच कर रहे  दल ने पूर्व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को क्‍लीन चिट दे दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कि स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के रूप में नीतीश कुमार से दवा खरीद की किसी फाइल पर अनुमति नहीं ली गयी थी।

 

जांच टीम ने रिपोर्ट स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के प्रधान सचिव को सौंपी, जिसे अनुशंसाओं के साथ मुख्‍य सचिव को सौंप दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में बीएमएसआईसीएल के एमडी, विभाग के पूर्व संयुक्त सचिव समेत सभी दस आरोपियों पर कार्रवाई तय है। उल्‍लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक केके सिंह ने जांच कर 14.5 करोड़ रुपए के दवा खरीद घोटाले का पर्दाफाश किया था।

 

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, घोटाले की जांच के लिए गठित स्वास्थ्य सचिव आनंद किशोर की अध्यक्षता वाली विशेष जांच कमेटी ने शुक्रवार को अपनी 650 पन्नों की रिपोर्ट सौंप दी। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने रिपोर्ट की समीक्षा कर कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। एक-दो दिन में सभी आरोपियों पर गाज गिर सकती। इसके अलावा बीएमएसआईसीएल ने दवा सप्लाई के लिए जितने टेंडर किए, वे सारे टेंडर रद्द होंगे। स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता सह उपसचिव अनिल कुमार ने बताया कि आनंद किशोर कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और सरकार इस रिपोर्ट की समीक्षा कर रही है।

 

जांच कमेटी ने भागलपुर मेडिकल कॉलेज में अमान्य दवा से हुई मौत के मामले में भी बीएमएसआईसीएल को ही दोषी माना है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पाया की बीएमएसआईसीएल ने मेडिपॉल दवा एजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए कई अनियमितताएं की है। उधर पीएमसीएच में पैसे के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं करने व बाद में इस कारण से बच्चे की मौत के मामले में भी जांच रिपोर्ट सौंप दी गई।

By Editor


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