भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सुप्रीम कोर्ट के चिफी जस्टिस पर मनमानी करने का आरोप लगाया है.
चीफ जस्टिस दीपकजस्टिस दीपक मिश्रा
इन चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें जस्टिस जे चेलमेश्वर के घर में आयोजित की गई. उनके साथ अन्य तीन जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरिन जोसेफ मौजूद थे.
न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे टकराव की वजह से यह प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई.
उधर वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा है कि “ये विकट घटना है. भारत के 70 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. मैं इसको गंभीर मानता हूँ. चार वरिष्ठ जजों को हालात ने लोगों के सामने खड़ा किया है. इस बात की गहराई में हमलोग भी जाएंगे. न्यायपालिका पर लोगों का बड़ा भरोसा है, जिस तरह से इसकी साख मैदान में खड़ी हो गई है, लोगों के लिए चिंता का विषय है. क्यों ये हालात बने, क्या कारण है कि ये चार जज संस्थाओं से बाहर आकर बोले. देश के हालात खराब हो रहे हैं. अघोषित इमरजेंसी से भी कहीं आगे हैं हालात.”
उधर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस घटना के बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से की मुलाकात की. उधर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज मुकुल मुद्गल ने कहा है कि इसके पीछे कोई गंभीर कारण होगा, तभी उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी. लेकिन इस लोया से क्या कनेक्शन है? मुझे इस बारे में मालूम नहीं है और मैं किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.
दर असल चार जजों ने कहा है कि पहले उन लोगों ने सीजेआई को पत्र लिखा. पर जब पानी सर से ऊपर आ गया तब सार्वजनिक मंच से बात करनी पड़ी. इन जजों का कहना है कि सीजेआई अन्य जजों से न कम हैं ना ज्यादा. लेकिन काम के बटवारे में मनमानी की जा रही है.
इधर इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पीएम ने कानून मंत्री से बात की है.
“यह न्यायपालिका का काला दिन है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के खराब नतीजे सामने आएंगे. अब से हर आम आदमी न्यायपालिका के हर फैसले को संदेह की नज़रों से देखेगा. हर फैसले पर सवाल उठाए जाएंगे.” – उज्जवल निकम, वरिष्ठ वकील