मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज एक अखबार में दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ एक बड़ा-सा आलेख लिखा है। शीर्षक है- दहेज प्रथा और बाल विवाह को जड़ से मिटाने का लें संकल्प। इसके लिए सरकार ने गांधी जयंती पर सरकारी अभियान शुरू किया है। सरकारी पार्टी जदयू भी कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री के ‘दहेज और बाल विवाह मुक्त’ बिहार का संकल्प दिला रहा है। इसके लिए अभियान चला रहा है। करीब तीन साल पहले जदयू ने पार्टी की सदस्यता के लिए पेड़ लगाना अनिवार्य कर दिया था और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने पेड़ लगाकर तस्वीर पार्टी मुख्यालय को भेजी थी। उस दौर में एक ही गमला में दर्जनों कार्यकर्ताओं ने पौधा छूकर पार्टी के प्रति अपनी ‘निष्ठा’ जतायी थी और तस्वीर पार्टी कार्यालय को भेज दी। इसके साथ नीतीश कुमार की नीतियों के वफादार कार्यकर्ता बन गये।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का दरबार-ए-हाल
वीरेंद्र यादव
आज शाम हम स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के दरबार से निकल कर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर पहुंच गये। काफी देर दरबार में बैठने के बाद हमने पूछ ही लिया- दादा, तीन साल पहले सदस्यता के बदले पार्टी कार्यकर्ताओं ने जो पेड़ या पौधे लगाए थे, उनका क्या हाल है। उनका जवाब था- पता नहीं, वे पौधे किस हाल में हैं। पार्टी ने सदस्यता के लिए पेड़ लगाना अनिवार्य किया था, लेकिन पौधों के बारे में कुछ कहना मुश्किल है। प्रदेश अध्यक्ष के जवाब ने हमारे सामने कई सवाल एक साथ खड़े कर दिये। मुख्यमंत्री के ‘दहेज और बाल विवाह मुक्त’ बिहार का संकल्प ‘संघमुक्त भारत’ के समान जुमला तो नहीं है। दहेज नहीं लेने और बाल विवाह नहीं करने की शपथ ‘सदस्यता के लिए पौधारोपण’ जैसे राजनीतिक अभियान तो नहीं है। और भी कई सवाल।
‘दादा’ से मुलाकात की मंशा से करीब साढ़े पांच बजे हज भवन के पास उनके आवास पर पहुंचे। साइकिल खड़ी कर अंदर प्रवेश करने पर पता चला कि वे 6 बजे मिलेंगे। हम वहीं प्रतीक्षालय में बैठ गये। इस दौरान समय काटने के लिए फेसबुक खोल लिया। इस दौरान अधिकतर पोस्ट भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय शाह के ‘तेजस्वीकरण’ से भरा पड़ा था। भाजपा वाले तेजस्वी यादव के तेजी से अमीर बनने पर सवाल उठा रहे थे। आज गैरभाजपाई लोग जय शाह के ‘अप्रत्याशित विकास’ को लेकर बेचैन थे। लेकिन ‘जय की विकास’ यात्रा पर भाजपाई खेमा चुप दिख रहा था।
करीब 6 बजे दादा के दरबार में पहुंचे। पार्टी के कई कार्यकर्ता मौजूद थे। संगठन और अभियान को लेकर चर्चा हो रही थी। इस दौरान उन्होंने अपनी व्यस्तता की चर्चा भी की। स्वास्थ्य के संबंध में भी बताया। उन्होंने कहा कि वे 5 अखबार रोज पढ़ते हैं। सुबह में हेड लाइन पढ़ लेते हैं और आवश्यक खबरों पर चिह्न लगा देते हैं। इन खबरों को दोपहर में समय मिलने पर पढ़ते है। वैचारिक आलेखों को वे रात में पढ़ना पसंद करते हैं। भोजपुरी भाषियों से वे भोजपुरी में ही बतियाना पसंद करते हैं। वे अपनी यात्रा और संगठन की मजबूती को लेकर चर्चा करते हैं। राजनीतिक और पार्टीगत व्यस्तता के बीच दादा कार्यकर्ताओं के लिए भी समय निकाल लेते हैं। यह कोशिश आज भी दिखी।