दिल्ली उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) प्रमुख के पद पर संयुक्त आयुक्त एम. के. मीणा की नियुक्ति मामले में अरविंद केजरीवाल सरकार को गहरा झटका देते हुए आज कहा कि श्री मीणा एसीबी प्रमुख के पद पर फिलहाल बने रहेंगे।
न्यायालय ने श्री मीणा के एसीबी प्रमुख कार्यालय में प्रवेश करने तथा कामकाज संभालने पर रोक संबंधी दिल्ली सरकार का अनुरोध ठुकरा दिया। न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की गत 21 मई की अधिसूचनाओं की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका में श्री मीणा को पक्षकार बनाने से भी इन्कार कर दिया। न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया और दो सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा एसीबी प्रमुख पद पर श्री मीणा की नियुक्ति को लेकर उच्च न्यायालय में गत शनिवार को अंतरिम याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय की अधिसूचनाओं के खिलाफ उसकी पूर्व की मूल याचिका के निपटारे तक श्री मीणा को एसीबी से बाहर रखा जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि एसीबी में संयुक्त आयुक्त के पद का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार का कहना है कि जब ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है, तो एसीबी में संयुक्त आयुक्त पद पर की गई श्री मीणा की नियुक्ति भी गैर-कानूनी और असंवैधानिक है। श्री मीणा की नियुक्ति श्री जंग ने की है, जबकि श्री एस एस यादव की नियुक्ति दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की ओर से की गई है।