आईएएस दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन के पीछे दिये गये तर्क की हवा निक गयी है.अखिलेश सरकार ने कहा था कि दुर्गा के फैसले के कारण साम्प्रदायिक तनाव का खतरा था, जबकि ऐसा कुछ नहीं था.
टाइम्स आफ इंडिया की खबरों में बताया गया है कि गौतम बुद्ध नगर में स्थानीय पुलिस ने सोमवार को इस दलील को दरकिनार करते हुए साफ किया कि इलाके में ऐसा कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं था. कई टीवी चैनल और न्यूजसइट ने अखिलेश यादव के उस फरमान को प्रमुखता से उठाया था कि दुर्गाशक्ति नागपाल ने एक मस्जिद की विवादित दीवार को गिराने का आदेश दिया था जिसके कारण साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो गय थी.
जबकि स्थानीय थाने ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है.
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पुलिस के दावों की विश्वसनीयता इस बात से भी बढ़ती है कि राज्य सरकार को शनिवार को इस इलाके से सांप्रदायिक तनाव से जुड़ी कोई फील्ड रिपोर्ट नहीं मिली है.
गृह मंत्रालय के कुछ सूत्रों के मुताबिक किसी भी अधिकारी के खिलाफ इस तरह के गंभीर फैसलों की पहल फील्ड रिपोर्ट के आधार पर की जाती है.
रबूपुरा थाने के सीनियर सब इंस्पेक्टर अजय कुमार ने कहा, ‘ऐसा कोई तनाव नहीं था. आप उन पत्रकारों से पूछ सकते हैं, जो गौतम बुद्ध नगर में मौजूद थे. मेरे पास इस बात पर यकीन करने की पर्याप्त वजह है कि किसी को रविवार रात तक इस तरह का धार्मिक स्थल की दीवार गिरने के बारे में पता ही नहीं था.’