एक छान बीन से पता चला है कि देश के 1588 आईएएस अफसरों में से 108 बिहार के हैं. यानी हर दस में से एक बिहारी आईएएस अफसर है. ये आंकड़े 1997 से 2006 के बीच के हैं. इस तरह देश के टॉप ब्यूरोक्रेट्स में 9.38 फीसदी बिहार के हैं.
दैनिक भासकर में पवनस्क प्रकाश की रिपोर्ट
सिविल सर्विसेज में बिहार की भागीदारी को लेकर चाहे जो भी धारणा हो लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले दस वर्षों में बिहार ने देश को 125 आईएएस ऑफिसर दिए हैं। खासबात यह है कि सी-सैट के लागू होने बाद यह धारणा बनाई जा रही थी कि सिविल सर्विसेज में बिहार की भागीदारी घटेगी, लेकिन बिहार ने इस धारणा को भी बदल दिया है और सफलता का ग्राफ बढ़ा ही है। 1987 से 1996 के बीच सबसे बढ़िया रहा रिजल्ट…
हालांकि यह अलग बात है कि पिछले 10 वर्षों में यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 पर कोई बिहारी नहीं आया है। इनमें दिल्ली से तीन और राजस्थान, केरल, हरियाणा, तमिलनाडु, यूपी, तेलंगाना व यूपी से एक-एक कैंडिडेट को सफलता मिली। लेकिन सच्चाई यह भी है कि आईएएस के तौर पर चयन के मामले में बिहारी कैंडिडेट्स की संख्या बढ़ी है।
और बेहतर हो रही बिहार की स्थिति
पिछले 20 साल का रिकॉर्ड देखें तो बिहार से आईएएस अधिकारियों की संख्या में इजाफा हुआ है। 1997 से 2006 के बीच 10 सालों में देश भर से चुने गए 1588 आईएएस अधिकारियों में से बिहार से 108 (6.80 प्रतिशत) शामिल रहे। यह आंकड़ा अगले 10 सालों में बढ़ा। वर्ष 2007 से 2016 के बीच देशभर से चुने गए कुल 1664 आईएएस अधिकारियों में से बिहार से 125 (7.51 प्रतिशत) शामिल हुए। हालांकि यह बढ़ोतरी अभी बिहार से कुल आईएएस अधिकारियों की संख्या में कम है।
देश में 9.38 प्रतिशत टॉप ब्यूरोक्रेट्स के साथ बिहार दूसरे नंबर पर
देश की सबसे कठिनतम परीक्षा है संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षा। इसमें टॉप रैंकर्स बनते हैं आईएएस। ये टॉप रैंकर्स कैसे बनते हैं, इसका फिक्स फार्मूला तो अब तक किसी को नहीं मिला लेकिन टॉपर्स में बिहार आज भी दूसरे नंबर पर है। देश भर के कुल 4925 आईएएस अधिकारियों में 462 अकेले बिहार से हैं। यानी 9.38 प्रतिशत टॉप ब्यूरोक्रेट्स बिहारी हैं। इस मामले में बिहार से आगे सिर्फ उत्तरप्रदेश है जहां के 731 (14.84 प्रतिशत) आईएएस अधिकारी हैं।
1987 से 1996 के बीच सबसे बढ़िया रहा रिजल्ट
बिहार से आईएएस अधिकारी बनने के मामले में सबसे सुनहरा वक्त 1987 से 1996 के बीच रहा था। इस दौरान यूपीएससी के जरिए कुल 982 आईएएस अधिकारियों का चयन हुआ, जिसमें अकेले बिहार से 159 अधिकारी शामिल थे। यानि तब बिहार से आईएएस बनने की दर 16.19 फीसदी रही।
सिविल सर्विस में भी बेहतर प्रदर्शन
सिविल सर्विस की परीक्षाओं में कभी बिहार के विद्यार्थियों की संख्या अधिक थी लेकिन 1990 के बाद इसमें गिरावट आई। अब एक बार फिर बिहार के विद्यार्थी इसमें अच्छा कर रहे हैं। एक्सपर्ट डॉ. एम. रहमान बताते हैं कि 2011 में सीसैट पैटर्न लागू हुआ। सीसैट में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता ने बिहारी अभ्यर्थियों के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं। हालांकि अभी सीसैट को क्वालिफाइंग कर दिया गया है, जिसका परिणाम आने वाले सालों में देखने का मिलेगा।