देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 30.903 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया है. 15 जून, 2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार की ओर से की गई है. इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 20 प्रतिशत है. यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 126 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 107 प्रतिशत है. इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं.
नौकरशाही डेस्क
क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति
उत्तरी क्षेत्र
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं. इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 4.82 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 27 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 23 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 28 प्रतिशत था.
पूर्वी क्षेत्र
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं. इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 3.76 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 20 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 18 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 16 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है.
पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं. इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 5.95 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 22 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 11 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 20 प्रतिशत थी.इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है.
मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं. इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 12.50 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 30 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 20 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 15 प्रतिशत था. इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है.
दक्षिणी क्षेत्र
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं. इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 3.88 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 8 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 11 प्रतिशत थी. पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 17 प्रतिशत था. इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से कमतर है.
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बराबर है, उनमें एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं) शामिल हैं. इसी अवधि के लिए पिछले साल की तुलना में कम संग्रहण करने वाले राज्यों में राजस्थान, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं.