Ashfaque-rahmanदेश को बहुसंख्यक वर्ग के लुटेरों ने बरबाद कर दिया, एक भी घोटालाबाज मुसलमान नहीं.

देश को बहुसंख्यक वर्ग के लुटेरों ने बरबाद कर दिया जबकि एक भी घोटालाबाज मुसलमान नहीं.

जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय कंवेनर अशफाक रहमान ने नौकरशाही डॉट कॉम को दिये साक्षात्कार में कहा है कि 1952 से ले कर अब तक देश में जितने घोटाले और महा घोटाले हुए हैं उनमें किसी भी मुसलमान का हाथ नहीं है. इस देश को बहुसंख्यक समाज के लोगों ने न सिर्फ लूटा है बल्कि विदेशों में भी इस देश की दौलत और अस्मिता को गिरवी रखा है इसलिए इस देश के तमाम संसाधनों पर यहां के मुसलमानों और दलितों का पहला हक है.

 

यहां पेश है हमारे सम्पादक इर्शादुल हक की जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान की बातचीत के प्रमुख अंश-

सवाल- देश में खरबों रुपये की लूट मची है. कई लुटेरे तो अरबों रुपये ले कर विदेश भाग गये. आप इस पर क्या कहेंगे.

अशफाक रहमान- देखिए.. आज तक देश में जितने भी घोटाले या महाघोटाले हुए हैं उनमें सबके सब बहुसंख्यक समाज के लोग शामिल हैं. उन लुटेरों ने इस देश को बेच दिया है. वहीं मुसलमानों ने इस देश को बचाने के लिए विदेशों में अगर कुछ बेचा है तो वह है उनका श्रम. उन्होंने अपना श्रम, अपना खून और पसीना बेच कर भारत का निर्माण किया है लेकिन बहुसंख्यक समाज के घोटालेबाजों ने भारत को बर्बाद कर दिया है. भारत के मुसलमान अकेल यूएई और मध्यपूर्व के देशों में लाखों की तादाद में रह कर अपना श्रम बेचते हैं और हर साल भारत की झोली में 12 लाख करोड़ रुपये भर देते हैं जबकि बहुसंख्यक वर्ग के लुटेरे, विदेशों में इन्हीं संसाधनों को काले धने और घोटाले कर के रूप में जमा कर देते हैं.

 

आपकी पारटी 2019 के चुनाव के लिए क्या तैयारी कर रही है?

हमारी पार्टी ने 2019 के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है और इसके लिये समाजवादी मोर्चा का गठन किया गया है. इस मोर्चे में हमारी पार्टी जनता दल राष्ट्रवादी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी. हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

 

आप ऐसा क्यों मानते हैं कि देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक है?

देश को गुरबत और फेटहाली की खाई से निकालने में मुसलमानों ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया. लेकिन बहुसंख्यक वर्ग के लुटेरों ने यहां के सारे संसाधनों की दोनों हाथ से लूट मचाई और यहां तक कि विदेशों की तीजोरियां भरीं जिससे यह देश तबाही के दहाने पर पहुंच गया. गरीब दलितों और मुसलमानों ने अपनी पीढ़ियां भारत निर्माण में खपा दीं लेकिन इसे अपने ही देश के बहुसंख्यक समाज के लुटेरा वर्ग ने तबाह व बर्बाद कर दिया. जो लोग देश को लूट रहे हैं, जो लोग देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं उनका इस देश में पहला हक कैसे हो सकता है. जो इस देश को बनाने में लगा है जो इस देश के लिए अपना श्रम अपना खून विदेशों में गिरवी रखता है उसका ही तो पहला हक इस देश के संसाधनों पर होना चाहिए.

 

देश की अस्मिता, देश की आजादी के लिए तो सबने मिल कर कुर्बानियां दी हैं.

यह सच है कि देश की आजादी के लिए सबने मिल कर कुर्बानियां दी हैं. लेकिन आप गहराई में जा कर देखेंगे तो आप पायेंगे कि इस देश के लिए मुसलमानों ने अपना जितना कुछ लुटाया, जिनती कुर्बानियां दी उसकी मिसाल किसी और समुदाय में नहीं मिलता. चीन के से साथ हुए युद्ध में जब देश की आर्थिक स्थिति बदतर हो गयी थी तो हैदराबाद के नवाब ने मुल्क के वजीर ए आजम को पांच हजार किलो सोना गिफ्ट में दी थी और कहा था कि देश के लिए और भी कुछ चाहिए तो बता दीजिए. ऐसी एक भी मिसाल किसी अन्य समुदाय के लोगों की तरफ से आज तक सामने नहीं आया.

 

भारतीय राजनीति में मुसलमानों की स्थिति से आप कितने संतुष्ट हैं?

 

भारत के कम से कम सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों का पद मुसलमानों के पास होना चाहिए जबकि केंद्रीय कैबिनेट में कम से कम मुसलमानों की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत होनी चाहिए.लेकिन मुसलमानों पर आजादी के बाद से ही से भयावह जुल्म और नाइंसाफी हो रही है. उनके हक रौंदे जा रहे हैं. उन्हें तबाह किया जा रहा है. अगर मुसलमान अपने बूते आगे बढ़ता है तो उनकी दौलत को साम्प्रदायिक दंगे करवा कर जला के बरबाद कर दिया जाता है. देश आजाद हुआ तो सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत थी. जिसे धीरे-धीरे षड्यंत्र के तहत घटा कर3.5 प्रतिशत पर समेट करके रख दिया गया है. यह ज्लुम है अल्पसंख्यकों पर.मुसलमानों की जमीनों की मिलकियत पर धीरे-धीरे जबरन कब्जा करके मुसलमानों को बे घर कर दिया गया.

 

हिंदू और मुसलमान इस देश में भाई-भाई की तरह मिल कर रहें तो इस देश का बड़ा भला होगा.

बिल्कुल हम इस बात से सहमत हैं. मुसलमान दिन रात इसी कोशिश में लगा रहता है कि यह देश आगे बढ़े. सब भाई-भाई की तरह मिल कर रहें लेकिन बहुसंख्यक समाज का एक वर्ग ऐसा नहीं होने देता. ह विडम्बना है कि भारत के मुसलमान बहुसंख्यक समुदाय को बड़ा भाई मानता रहा है लेकिन उन्हीं मुसलमानों के साथ इस देश में सौतेली मां बन कर सुलूक किया जाता है.

 

 

पिछले कुछ वर्षों में मुसलमानों की लिंचिंग की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है. इसके पीछे क्या मामला आप देखते हैं?

 

इस देश में लिंचिंग( भीड़ के हाथों कत्ल) करने की वारदात बढ़ी है तब से बीफ एक्सपोरटरों की आमदनी में पचास गुना से ज्यादा का इजाफा हो गया है. गोपालकों और भैसंपालकों के पशुओं  की फरोख्तगी रोकने का नतीजा है कि भारत के बीफ एक्सपोरट करने वाले, जिनमें 95 परसेंट बहुसंख्यक समाज के व्यापारी शामिल हैं, बीमार और बूढ़ी भैंसों को कौड़ियों के भाव खरीद कर बीफ का एक्सपोर्ट विदेशों में करके मालामाल हो रहे हैं. लिंचिंग की घटनाओं के पीछे बड़ी साजिश है. यह सब खेल बीफ को विदेशों में बेचने के लिए किया जा रहा है.

 

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By Editor


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