विशाल तिवारी ने फेसबुक पर अवधेश कुमार के हवाले से लिखा है कि दैनिक भास्कर का दिल्ली एडिशन एक सितमंबर से बंद हो रहा है
अभी कम्प्युटर पर बैठा कुछ लिख रहा था कि अचानक हमारे पुराने मित्र और वरिष्ठ पत्रकार रफीक विशाल का फोन आया। रफीक इंदौर के पत्रकार हैं और नई दुनिया में लेखन के समय से ही उनके साथ संबंध हैं। उन्होंने मुझसे पूछा, ‘ सर, कुछ पता है’? मैंने जवाब दिया,‘ क्या’? हमलोग सड़क पर आ गए। मुझे लगा शायद भास्कर ने इन्हें हटा दिया है।
लेकिन शब्दप्रयोग था, हमलोग। मैंने पूछा,‘कैसे’? उत्तर था, भास्कर दिल्ली संस्करण 1 सितंबर से नहीं निकलेगा। यह सुनते ही कुछ समय के लिए मेरी आवाज बंद हो गई। पता चला कल रात इसकी घोषणा अचानक की गई। इसीलिए आज ऑप एड पृष्ठ नहीं निकला है। श्री विमल झा ने कल ही मुझसे एक लेख लिखवाया था। सुबह अखबार देखा तो पृष्ठ ही नहीं था। ऐसा एकाध बार पहले भी हुआ है। सोचा, शायद कल आ जाएगा। लेकिन इसका कारण तो और है।
रफीक एक अच्छे पत्रकार और भले इन्सान हैं। वे इन्दौर से दिल्ली काफी उम्मीद से आए थे। उनकी पत्नी बीमार हैं, जिनका इलाज चल रहा है। उनके लिए नौकरी अपरिहार्य है। रफीक अकेले नहीं हैं ऐसे। भास्कर में काम करने वाले कई मित्र उत्कृष्ट श्रेणी के पत्रकार हैं। श्री हरिमोहन मिश्रा जी के ज्ञान और व्यक्तिगत व्यवहार कई मायनों में आदर्श हैं। इसी तरह और लोग हैं। एक अखबार बंद होने का प्रत्यक्ष-परोक्ष असर न जाने कितने लोगांे पर पड़ता है।
अनेक लेखक भास्कर में लिखते थे, जिन्हें आत्मसंतुष्टि के साथ मानदेय मिलता था। उन सारे लोगां की आय और आत्मतुष्टि का बड़ा साधन एकाएक बंद हो गया। मैं भी उसमें शामिल हूं। भास्कर ने दिल्ली संस्करण में काफी प्रबुद्ध पाठक बनाए थे। उनके लिए भी यह बहुत बड़ा धक्का है। हमें अपने लेखों पर बराबर उनकी प्रतिक्रियाएं मिलतीं थीं।
नोट- नौकरशाही डॉट इन ने इस खबर की पुष्टि नहीं की है.