राजनीति में अपराधीकरण पर लगाम कसने के लिए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है. इसके अनुसार, चुनाव आयोग अब सजायाफ्ता लोगों के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने के मूड में हैं. फिलहाल दो साल या इससे अधिक सजा पाने वालों जनप्रतिनिधियों के छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है. हालांकि चुनाव संबंधी सिफारिशें अभी भी सरकार के पास विचाराधीन है.
आयोग ने उस जनहित याचिका का भी समर्थन किया है, जिसमें राजनीतिक का अपराधी करने रोकने के लिए दोषी लोगों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए अयोग्य ठहराने की मांग की गई है. आयोग ने हलफनामा भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिक पर दायर किया है. इस याचिका का समर्थन करते हुए आयोग ने जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों और न्यायापालिका से जुड़े लोगों के आपराधिक मुकदमों के लिए एक साल के अंदर विशेष अदालत के गठन की भी मांग की है, ताकि उनका निपटारा जल्द से जल्द किया जा सके. वहीं, चुनाव आयोग ने हलफनामे में चुनाव सुधार संबंधित विधि आयोग और संविधान समीक्षा आयोग की सिफारिशों को भी लागू किए जाने की बात कही है.