दो नौकरशाहों के कारण मधुबनी धू धू कर जलती रही और अपने बॉस के हुक्म की तामील करने के चक्कर में एसपी ने छात्रों पर गोलियां चलवाई और लाशें गिरीं.
इधर मुख्यमंत्री ने भी इस मामले को प्रशासनिक चूक बताते हुए कहा है कि अंत भला तो सब भला. प्रशांत की हत्या की बात सामने आई थी.
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मधुबनी के शिक्षापदाधिकारी जगतपति चौधरी की बेटी प्रशांत झा नामक युवक के संग फरार हो गई थी. जबकि एक अंजान सिरकटी लाश को लोग प्रशांत की लाश समझते रहे.
इधर जगतपति कहने पर आरके मिश्रा को मधुबनी के तत्कालीन एसपी को आदेश दिया कि वह इस मामले में प्रशांत के परिवार वालों की एक न सुने.
मधुबनी पुलिस की लापरवाही की हद तो तब हो गई जब उसने अपने बॉस के दबाव में प्रशांत के परिवार वालों द्वारा दायर एफआईआर को भी स्वीकार नहीं किया उलटे पुलिस ने प्रशांत के परिवार वालों पर डंडे बरसाये.
इधर जिस प्रशांत के कारण मधुबनी दो दिनों तक जलती रही वह प्रशांत अपनी गर्लफ्रेंड यानी जगतपति की बेटी प्रिति के साथ दिल्ली में सैर सपाटा करता जिंदा मिला.
इस पूरे प्रकरण के बाद सवाल यह उठता है कि जिस व्यक्ति की सरकटी लाश मिली उसके बारे में पुलिस ने अपने पावर के जुनून में इतना कंफ्यूजन पैदा कर दिया कि मधुबनी शहर का बच्चा-बच्चा सड़क पर उतर आया और नतीजे में पुलिस की गोलियों से दो छात्रों की जाने गईं.
बिहार के डीजीपी अभ्यानंद ने सोमवार की शाम प्रशांत और प्रीति से बात की और मीडिया को बताया कि दोनों जिंदा भी हैं और सलामत भी.
जिस प्रशांत के कारण बिहार बंद रहा, मधुबनी के दो छात्रों की गोली लगने से मौत हुई और करोड़ों रुपये की सरकारी सम्पत्ति जला कर राख की गई यह सब दो नौकरशाहों के प्रशासनिक चूक और पावर के जुनून के कारण हुआ.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी स्वीकार किया है कि यह प्रशासनिक चूक कारण हुआ. उन्होंने कहा अंत भला तो सब भला.
विपक्षी दलों ने कहा है कि इस पूरी तबाही की जिम्मेदारी आईजी आरके मिश्रा और मधुबनी के तत्कालीन एसपी सौरभ कुमार पर जाती है. विपक्षी दलों ने इस बात की मांग की है कि आरके मिश्रा और सौरभ को तुरंत निलंबित करके उनके खिलाफ पावर के दुरोपयोग और कर्त्वयहीनता के आरोप में गिरफ्तार करके गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
इधर भ्रष्टाचार विरोधी मंच के नेता सत्यनारायण मद ने मांग की है कि सार्वजनिक हितों और कानून के रखवालों ने अपनी नातेदारी के चक्कर में मधुबनी को जलने पर मजबूर किया इसलिए ऐसे अधिकारियों को सरकार बचाने के बजाये उन्हें सलाखों में डाल कर मोकदमा दर्ज करे.
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