उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक साथ दो ब्राह्मणों को भारत रत्न देने पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि दलित व पिछड़े नायकों की उपेक्षा यूपीए सरकार में भी हो रही थी और एनडीए सरकार में भी हो रही है। सुश्री मायावती ने लखनऊ में पत्रकारों से कहा कि भाजपा सरकार पिछड़ों और दलितों की लगातार उपेक्षा कर रही है। हाल ही में भारत रत्न से दो ब्राह्मणों को सम्मानित कर दिया गया, जबकि दबे-कुचले लोगों को जीवनभर उठाने में लगे रहे बसपा संस्थापक कांशीराम और समाज सुधारक ज्योति बा फुले जैसे लोगों के बारे में सोचा तक नहीं गया।
पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय का नाम लिए बगैर इनको भारत रत्न दिये जाने पर सवाल खड़ा करते हुए मायावतीन ने कहा कि किसी पिछडे़ या दलित को इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से क्यों नहीं सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि इससे सिद्ध होता है कि केन्द्र सरकार दलितों और पिछड़ों के बारे में विरोधी मानसिकता रखती है। मनमोहन सरकार ने भी कांशीराम को भारत रत्न दिये जाने की उनकी मांग ठुकरा दी थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार भी इस मामले में पूर्व सरकार के रास्ते पर चल रही है। दलितों के मामले में भाजपा और कांग्रेस का रुख एक ही रहता है। उन्होंने कहा कि कांशीराम के मरने पर संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन सरकार ने शोक भी नहीं प्रकट किया था, जबकि वह बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के बाद दलितों के सर्वमान्य नेता थे। इस बीच भाजपा ने मायावती के आरोपों को बेबुनियाद बताया। पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मायावती स्वयं जातिवादी राजनीति करती हैं और इसीलिए वह हर चीज को जातीय चश्मे से देखती हैं।
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