पूर्व केंद्रीय मंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि बिहार में समाजवाद की राजनीति राह भटक रही है। डॉ राममनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर जाति को जमात में तब्‍दील करने की राजनीति कर रहे थे और इसी संकल्‍प के साथ समाज को बदलने का प्रयास भी कर रहे थे, लेकिन आज की राजनीति में जाति हावी हो गयी है और जमात पीछे चला गया है। यह चिंताजनक है।

सपा के प्रदेश अध्‍यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव से वीरेंद्र यादव की बातचीत 

श्री यादव ने लोहिया जयंती के एक दिन पूर्व गुरुवार को खास मुलाकात में कहा कि वर्तमान राजनीति धन से सत्‍ता और सत्‍ता से धन प्राप्‍त करने का माध्‍यम हो गयी है। इस होड़ में जनता के मुद्दे दरकिनार होते जा रहे हैं। सामाजिक न्‍याय का आंदोलन कुंद होता जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि पिछले करीब 28 वर्षों से जेपी के शिष्‍य ही बिहार की सत्‍ता के शीर्ष पर हैं। इसके बावजूद सामाजिक और प्रशासनिक स्‍तर पर जेपी का सपना चकनाचूर हो रहा है। लोहिया की सप्‍त क्रांति और जेपी की संपूर्ण क्रांति की अवधारणा को कार्यरूप देने का कोई संकल्‍प न राजनीति के स्‍तर पर दिख रहा है और न इसके लिए प्रशासनिक प्रतिबद्धता दिख रही है।

श्री यादव ने कहा कि 1977 से उन्होंने तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के लिए फुलपरास सीट से इस्‍तीफा दे दिया था। 1977 के विधान सभा चुनाव में खुद देवेंद्र यादव की जीत 40 हजार वोटों से हुई थी, जबकि उसी सीट पर कर्पूरी ठाकुर की जीत 67 हजार मतों से हुई थी। उन्‍होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जमात की राजनीति करते थे और जमात उनके साथ खड़ा था।

समाजवादी पार्टी के बिहार प्रदेश अध्‍यक्ष के रूप में अपनी उपलब्धियों की चर्चा करते हुए देवेंद्र यादव ने कहा कि उन्‍होंने पहली बार बिहार में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन सुपौल में पिछले साल अक्‍टूबर महीने में किया था। लगभग एक साल के कार्यकाल में एक लाख से ज्‍यादा प्राथमिक सदस्‍य बनाये, जबकि 4 हजार से ज्‍यादा सक्रिय सदस्‍य बनाये। श्री यादव ने कहा कि वे विचार के साथ राजनीति करने में विश्‍वास करते हैं और इसी दिशा में बिहार में समाजवादी पार्टी को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि विचारधारा की राजनीति स्‍थायी होती है, जबकि सत्‍ता की राजनीति अस्‍थायी होती है। सत्‍ता आती-जाती है, लेकिन विचार और विचारधारा शाश्‍वत है।

By Editor


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