निसार ने बताया कि जब उन्हें जेल में डाला गया था, तब उनकी उम्र 20 साल थी। आज वह 43 वर्ष के हो चुके हैं। जेल जाने से पहले जब उन्होंने अपनी छोटी बहन को देखा था, तब वह 12 साल की थी और अब उसकी बेटी 12 साल की है। निसार ने कहा, ‘मैंने अपनी जिंदगी के सबसे अहम दिन 8,150 दिन जेल में बिता दिए। मेरे लिए जिंदगी खत्म हो चुकी है। जिसे आप देख रहे हैं, वह एक जिंदा लाश है।’
निसार ने बताया कि जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था, तब वह फार्मेसी सेकेंड ईयर में पढ़ते थे। 15 दिन बाद उनका एग्जाम होना था। उन्होंने उस दिन को याद करते हुए बताया, ‘मैं कॉलेज जा रहा था। पुलिस की एक गाड़ी इंतजार कर रही थी। एक शख्स ने मुझे रिवॉल्वर दिखाई और जबरन गाड़ी में बिठा लिया। मुझे हैदराबाद लाया गया।’ उस वक्त तक कर्नाटक पुलिस को निसार की गिरफ्तारी का पता नहीं था।
रिकॉर्ड के मुताबिक, निसार को 28 फरवरी, 1994 को अदालत के सामने पेश किया गया था। बाद में निसार के भाई जहीर को भी गिरफ्तार किया गया था। उन्हें भी उम्रकैद की सजा दी गई थी। लेकिन स्वास्थ्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 9 मई, 2008 बीमारी के कारण उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था। उन्हें फेफड़ों का कैंसर था। जहीर बताते हैं कि उन्होंने अदालत को कई प्रार्थना पत्र लिखे, जिनमें उन्होंने बताया था कि कैसे उन्हें फंसाया गया। आखिरकार अदालत में हम दोनों को दोषमुक्त करार दिया।
हालांकि, रिहाई के बाद निसार ने सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया है, लेकिन एक सवाल पूछा है- मेरी जिंदगी मुझे कौन लौटाएगा?