राजधानी पटना समेत पूरे प्रांत में विश्वकर्मा पूजा धूम-धाम से मनायी जा रही है। हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाये जाने का प्रचलन है। खास बात यह है कि विश्वकर्मा पूजा की तिथि कभी बदलती नहीं है। विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन सभी प्रतिष्ठानों में सुबह से ही मशीनों और औजारों की साफ-सफाई की गयी। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित कर विशेष पूजा का आयोजन किया गया ।
विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग अपने घरों में भी वाहन, औजार, मशीन आदि की सफाई कर उसकी पूजा अर्चना की। इस पूजा को लेकर एक दिन पूर्व से ही तैयारी शुरू हो जाती है। भगवान विश्वकर्मा को मशीनों और औजारों का का जन्मदाता माना जाता है। विश्वकर्मा जयंती के कारण औद्योगिक प्रतिष्ठानों, गैराज, सर्विस सेंटर आदि में छुट्टी रहती है। वहीं, विश्वकर्मा पूजा को हिन्दुओं के साथ ही मुस्लिम कारीगर भी मनाते हैं। औद्योगिक क्षेत्रों, कारखानों, लोहे की दुकानों, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर, कम्प्यूटर सेन्टर, हार्डवेयर की दुकानों में विश्वकर्मा भगवान की विधिवत पूजा की जा रही है।
विश्वकर्मा पूजा के लिए राजधानी पटना में खास इंतजाम किए गए हैं। विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा स्थापित करने के लिए दर्जनों जगहों पर पंडाल बनाये गये हैं। पंडाल को आकर्षक रूप देने के लिए फूलों के साथ-साथ कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक सजावट के सामान भी लगाये गये हैं । भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों में मूर्तियां स्थापित कर भव्य रूप से सजाया गया है। इसको लेकर दुपहिया और फोर व्हीलर वाहनों के शोरूम को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। विश्वकर्मा पूजा के दिन लोग नये वाहन खरीदना शुभ मानते हैं। इसके मद्देनजर शोरूम में वाहनों की खरीद पर विशेष छूट की भी पेशकश की गई है।