नावकोठी के स्थानीय लोगों ने बताया 22 अप्रैल को निकलना है आरएसएस का जुलूस मुस्लिम बहुल इलाके से, उससे पहले की जा रही हैं दंगे भड़काने की साजिशें. इसकी शुरुआत एक मस्जिद पर ‘राम’ लिख कर हंगामा करने का दुस्साहस किया चुका है. 

बेगूसराय से अरविन्द की रिपोर्ट

पहले से ही दंगे की आग में झुलस रहे बिहार के एक और जिले बेगूसराय के नावकोठी प्रखंड क्षेत्र में साम्प्रदायिक दंगे की साजिश चल रही है। 4 अप्रैल को हसनपुर बागर की मस्जिद में किसी ने ‘राम’ लिखा और पेशाब कर दी। सुबह में हंगामे की स्थिति को भाँप कर समाज के बुद्धिजीवियों, पत्रकारों ने मामले को शांत कराया, नहीं तो बेगूसराय दंगे की आग में जल गया होता, अभी भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं।

जानकारी के मुताबिक 22 अप्रैल को भाजपा विधान परिषद सदस्य (MLC) रजनीश कुमार के नेतृत्व में आरएसएस का यहां एक बहुत बड़ा जुलूस निकलना है और उसका मार्ग मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से होकर जाता है, इसलिए दंगे की सौ प्रतिशत संभावना लगती है। इसे उसी योजना की पूर्व तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।

इस्राफिल, पत्रकार शकी लबेग, डॉ. समूद आदि ने मस्जिद पर लिखे ‘राम’ शब्द को मिटाया और पेशाब को पानी कहकर मामले को शांत करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन मामला फिर भी उग्र रूप ले रहा था।

आनन-फानन में हसनपुर बागर पंचायत के कुछ सजग और साम्प्रदायिक सद्भाव के समर्थकों द्वारा एस डीएम, बखरी, नावकोठी थानाधिकारी आदि के साथ बैठक की, ताकि हादसे से पूर्व की रक्षात्मक तैयारी की जा सके, किन्तु एसडीएम ने इस मुद्दे को कोई महत्व न देकर ‘सात दिनों में सात सौ शौचालय’ बनाने की मोदी-योजना का राग अलापना शुरू कर दिया तथा इस महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत हसनपुर बागर से हो, यह कहकर तालियाँ बटोरीं, दंगा विरोधी -जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को कोई तरजीह नहीं दी।

लोकप्रिय पत्रकार शकील बेग, इस्राफिल, अंगद, डॉ समूद आदि लोगों ने 5 अप्रैल की सुबह बैठक बुलाई है, ताकि भावी किसी प्रकार साम्प्रदायिक तनाव न हो।

सूत्रों से जानकारी के अनुसार 22 अप्रैल को भाजपा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रजनीश कुमार के नेतृत्व में आरएसएस का बहुत बड़ा जुलूस निकलना है और उसका मार्ग मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से होकर है। दंगे की सौ प्रतिशत संभावना लगती है।

प्रशासन को इसकी जानकारी निश्चित रूप से है, अबोध जनता को समझाना कठिन लग रहा है। यदि साजिश की पोल नहीं खुली तो शासक वर्ग एवं उसके सहयोगी निःसंदेह कामयाब हो जाएँगे। समाज को नहीं चेताया गया तो यहां दंगा जरूर भड़केगा, और गंगा-जमुनी समाज बच सकता है।

जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और लोगों को शासन—प्रशासन की साजिश से अवगत नहीं कराया गया तो समाज में उन्माद फैलने की पूरी संभावना है हर दंगे का इतिहास यही रहा है कि शासक वर्ग पहले दंगे के लिए उकसाता है, फिर दोषी ठहरा कर कठोर सजा दिलवाता है।

लगातार वैज्ञानिक विचारों को फैलाकर और धर्म-जाति की हकीकत से लोगों को रू-ब-रू करके ही हम जातीय अथवा धार्मिक उन्मादों को फैलने से रोका जा सकता है।

जनज्वारडॉटकॉम में 6 अप्रैल को प्रकाशित

By Editor


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