बिहार विधानसभा के चुनाव में पहली बार डायनेमिक रिमोटली आपरेटेड नेवीगेशन इक्यूपमेंट (ड्रोन) से इनपुट लिये जाने की तैयारियों से अब नक्सलियों और अपराधियों के साथ ही शरारती तत्वों को छिपने के लिए धरती छोटी पड़ने वाली है।evm

 

चुनाव आयोग भयमुक्त और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के इरादे से ही पांच चरणों में मतदान कराने की तैयारियां कर रहा है। पहले चरण में 12 अक्टूबर को 10 जिले की 49 सीटों के लिए वोट डाले जायेंगे । इन जिलों के कई मतदान केन्द्रों की पहचान अति संवेदनशील के रुप में की गयी है। उग्रवादियों के गढ़ के रुप में चिह्नित पहले चरण के मतदान वाले इन जिलों में दिन के समय में भी प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े लोग आराम के साथ अपनी दिनचर्या में मशगूल रहते हैं। ऐसे लोगों को प्रशासन का कोई खौफ नहीं रहता । हां, यह बात जरुर है कि पुलिस की थोड़ी से भी धमक होने पर इन्हें जानकारी जरुर मिल जाती है। अपने प्रभाव वाले इलाकों में इनका तंत्र काफी मजबूत होता है । सुरक्षा बलों से संबंधित छोटी से छोटी जानकारियां भी बगैर किसी रुकावट के इन तक सरलता से पहुंच जाती हैं।
 

विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा , नक्सली हमेशा से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ रहे हैं। ये प्रत्याशियों के प्रचार वाहनों तथा चुनाव कार्यालयों को हमेशा ही निशाना बनाते रहे हैं। नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाकों में बगैर उनकी अनुमति के किसी भी दल के प्रत्याशियों का प्रचार वाहन या फिर स्वयं प्रत्याशी भी नहीं प्रवेश कर सकते । इसके लिए संबंधित क्षेत्र के स्वयंभू एरिया कमांडर से प्रत्याशियों को अनुमति लेनी पड़ती है।

By Editor


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