नगपुर लोकसभा चुनाव :गडकरी के गढ़ में मनीषा बांगर की ललकार
नौकरशाही मीडिया
नागपुर लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा प्रत्याशी नितिन गडकरी के खिलाफ अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों में नाराजगी को जहां कांग्रेस भुनाने में लगी है वहीं पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया की प्रत्याशी मनीषा बांगर के रण में कूदने से लड़ाई काफी दिलचस्प हो गयी है.
2014 के चुनाव के बरअक्स इस बार अन्य पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जातियों में गडकरी के प्रति सहानुभूति काफी हद तक कम है. इसका हर संभव लाभ कांग्रेस के नाना पटोले लेने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया ने तेज तर्रार सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मनीषा बांगर को उतार कर कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी है. दूसरी तरफ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की ओर से अब्दुल करीम व बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद जमाल अपनी सक्रियता से भाजपा व कांग्रेस के लिए सरदर्द बन गये हैं.
नागपुर का सामाजिक बनावट
यहां हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि नागपुर की सामाजिक बनावट कैसे चुनाव को प्रभावित कर सकती है. इस क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की आबाद 20 प्रतिशत के करीब है. इन में बौद्ध और गैरबौद्ध दोनों शामिल हैं. मुसलमान करीब 13 प्रतिशत हैं और इनका वोट चुनाव परिणाम को अक्सर प्रभावित करता रहा है.
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दूसरी तरफ ओबीसी मतदाताओं की आबादी करीब 50 प्रतिशत मानी जाती है. ओबीसी में दो जातियां- कुंबी और तेली सर्वाधिक हैं. नागपुर की सियासी सरगर्मी से इस बार ओबीसी के अलावा अनुसूचित जातियों में भाजपा के प्रति रोष देखने को मिल रहा है.
ओबीसी, अनुसूचित जाति व मुस्लिम मतदाताओं की कुल आबादी करीब 83 प्रतिशत होती है. इस बड़े मतदाता वर्ग पर जहां कांग्रेस की नजर है वहीं इस ग्रूप पर पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया की मनीषा बांगर, बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद जमाल, मज्लिस ए इत्तेहादुल मुस्लेमीन के अब्दुल करीम की भी नजर है.
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हालांकि कांग्रेस के बाद पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया की मनीषा बांगर ही हैं जो इन समुदायों के बीच सर्वाधिक सक्रिय हैं. मनीषा बताती हैं कि वोटरों को बखूबी पता है कि उनका वोट विभाजित ना हो इसलिए मैं आश्वस्त हूं कि बहुजन समाज (एससी, ओबीसी व मुस्लिम) वोटिंग में रणनीतिक पैटर्न अपनायेगा.
ओबीसी में गडकरी से नाराजगी
विश्लेषकों का मानना है कि 2014 के चुनाव में एससी और ओबीसी के तेली व कुंबी समाज के लोगों का रुझान भाजपा के प्रत्याशी नितिन गडकरी के खिलाफ जा रहा है. लेकिन इस निर्णायक समाज का वोट एक मुश्त किस प्रत्याशी की तरफ जायेगा, यह कह पाना कठिन है.
भाजपा के नितिन गडकरी और कांग्रेस के नाना पोटले के अलावा इस बार पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया, बीएसपी व मज्लिस ए इत्तेहादुल मुस्लेमीन के प्रत्याशियों ने भी दमखम दिखा रखा है. नितिन गडकरी के खिलाफ एंटी एंकम्बेंसी फैक्टर काम कर रहा है तो कांग्रेस की कोशिश है कि भाजपा को मिलते रहे अगड़ी जातियों में सेंध लगाई जाये. लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस के अलावा पीपीआई, बीएसपी व एएमआईएम ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. जबकि पीपीआई की प्रत्याशी मनीषा बांगर ने बीएसपी के प्रत्य़ाशी के सामने गंभीर चुनौती बन कर खड़ी हो गयी हैं.
नगपुर में प्रथम चरण में यानी 11 अप्रैल को चुनाव है. पिछले कुछ दिनों में यहां का सामाजिक समीकरण बड़ी तेजी से बदला है. जहां पिछले चुनावों में बीएसपी व एआईएमआईएम ने भी अपने उम्मीदवार खड़े किये थे वहीं इस बार पीपीआई की उम्मीदवार डॉ मनीषा बांगर पहली बार यहां से चुनाव लड़ रही हैं. मनीषा ने इस चुनाव अभियान के दौरान मजबूत दस्तक दे कर अनेक प्रत्याशियों में बेचैनी फैला दी है.