बिहार चुनाव में जहां एक ओर बड़े दलों पर सबकी नजर है वहीं अनेक नये दलों ने भी ताल ठोक लिया है. इस श्रृंखला में पढ़ें नये दल, नया नेता और उनके एजेंडे: पहली किस्त.
नौकरशाही न्यूज
शिवा बिहारी सिंघानिया का सार्वजनिक जीवन 74 आंदोलन से शुरू होता है. लेकिन तब वह उस आंदोलन के दूसरी पंक्ति में थे जो तब बहुत ख्याति नहीं पा सके. लेकिन राजनीति की मबूत धारे की ललक उनके दिल में तब से रही. लेकिन तब वह सियासत में अपराध के बढ़ते दखल से आहत थे. फिर उन्होंने खुद को अपने कारोबार और व्यापार में लगा दिया.
समय बीता और उन्हें एहसास हुआ कि जब भ्रष्टाचार और सियासी मौकापरस्ती से देश छिन्न-भिन्न होता जा रहा है इस लिए अब समय आ गया है कि भारत का मजबूती से निर्माण हो. इसी सोच ने सिंघानिया को प्रेरित किया और उन्होंने भारत निर्माण पार्टी का गठन किया. कई सालों के गहन चिंतन और जद्दोजहद के बाद 2011 में उनकी पार्टी चुनाव आयोग से पंजीकृत हुई और इसबार बिहार चुनाव में दमखम से लड़ने को तैयार है.
सिंघानिया बताते हैं “हम न तो धर्मनिरपेक्षता के नारे को वोट के लिए हवा देने के पक्ष में हैं और न ही साम्प्रदायवाद के सहारे राजनीति करना चाहते हैं. बस हम सामाजिक ताने-बाने को बिना नुकसान पहुंचाये भारतीय संस्कृति और दर्शन को मजबूत करके एक विकसित और सशक्त भारत का निर्माण चाहते हैं”.
सिंघानिया कहते हैं “मौजूदा शिक्षा ने समाज में बेरोजगारी को बढ़ाया है. सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं. ऐसे में हम चाहते हैं कि युवाओं को रजागार और गरीबों को बराबर अवसर मिले. यही हमारा एजेंडा है”.
निजी जीवन
बिहार के सहरसा से ताल्लुक रखने वाले 52 वर्षीय सिंघानिया पेशे से कपड़ा व्यवसायी रहे हैं. उन्होंने ने पटना से शिक्षा प्राप्त की और यहीं से ग्रेजुएशन किया. उनका कारोबार बिहार से बाहर फैला हुआ है. फिलहाल जब उन्होंने खुद को राजनीति को समर्पित कर दिया है तो अब उनके बच्चे उनका कारोबार देख रहे हैं.
शिवा बिहारी सिंघानिया साफ कहते हैं कि “हमारी लड़ाई भाजपा गठबंधन और लालू-नीतीश गठबंधन दोनों के खिलाफ है. हम नये समाज और मजबूत भारत के निर्माण के लिए सियासत में आये हैं. हमारी योजना है किब हम राज्य के सभी 243 सीटों से उम्मीदवार खड़े करें. लेकिन हम एक स्वच्छ छवि और देशभक्ति की भावना से भरे प्रत्याशी को ही चुनाव लड़ायेंगे ऐसी हालत में हम कम सीट पर भी लड़ने को तैयार है”.
सिंघानिया की योजना है कि बिहार के बाद पश्चिम बंगाल और फिर उत्तर प्रदेश में भी चुनाव लड़ें. वह कहते हैं कि हमारी पार्टी ने अपना सांगठनिक ढ़ांचा पश्चिम बंगाल में विकसित कर लिया है. अनेक बार विधायक और एमपी रहे लक्ष्मण सिंह पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष हैं. सिंघानिया की सोच है कि भारत निर्माण के आंदोलन का जो सपना उनकी आंखों में है उसे वह साकार करने में जुटे गये हैं. इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए बिहार तक केंद्रित रहने के बजाये वह पूरे देश में अपना आंदोलन ले जाना चाहते हैं. उन्हें विश्वास है कि उनका सपना साकार होगा और जरूर होगा. पर मानते हैं कि लड़ाई काफी लम्बी चलेगी.
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