क्या नरसिंह यादव कुश्ती के खेल में मौजूद स्पोर्ट्स लॉबी और खेल संगठनों में मौजूद राजनीति का शिकार हुए हैं? कहीं यह कुश्ती के मठाधीश गुरू सतपाल की लॉबी और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के बीच खेल संगठन की राजनीति का गंदा खामियाजा तो नहीं? वरिष्ठ पत्रकार निखिल आनंद इस पूरे मामले की पड़ताल कर रहे हैं.
किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन नरसिंह यादव के लिये एक मौका या संभव है की जिंदगी बर्बाद हो गयी।
नरसिंह (जिन्हें रियो जाना है) के साथ उनके रूम पार्टनर संदीप (जिन्हें रियो जाना भी नहीं है) का भी एक ही तरह के प्रतिबंधित दवा के प्रयोग में पकड़ा जाना आश्चर्यजनक है। फिर जो ड्रग सब्सटांस इन दोनों खिलाड़ियों के शरीर से मिला है, वो आमतौर पर बॉडी बिल्डर मसल्स बनाने के लिए लेते हैं, ये पहलवानों के किसी काम के नहीं। जिस ड्रग के सेवन का आरोप नरसिंह पर लगा है उसका रेसलिंग में कोई लाभ नहीं है और डॉक्टरों के अनुसार ओलंपिक स्तर के पहलवान के लिये तो कतई ही नहीं है। फिर जो पहलवान 35- 40 बार डोप टेस्ट में कभी भी फेल नहीं हुआ और जिसका पिछले कमोबेश महीने भर में ही 3 बार डोप टेस्ट हुआ हो जिसमे कहीं भी कुछ नहीं पाया गया।
नरसिंह के सभी सपोर्ट स्टाफ, कोच जगमाल सिंह और डॉक्टरों ने भी एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी के खिलाफ साजिश की संभावना जताई है। सवाल ये उठता है कि ठीक ओलम्पिक से पहले डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाया जाना कैसे संभव है जिसे ओलम्पिक में जाने के लिए इतनी जद्दोजहद करनी पड़ी हो, विश्व चैंपियनशिप में कांस्य जीतकर ओलंपिक कोटा पाने के बाद भी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी हो। नरसिंह ने ओलंपिक का रास्ता एक दशक से ज्यादा की अपनी लगन और मेहनत के बूते निकाला था वो भी विश्व स्तर की प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त कर।
खेल इतिहास का काला दिन
नरसिंह- सुशील विवाद के चलते आईबी- सीआईडी की खुफिया सूचना थी कि नरसिंह पर हरियाणा में हमला हो सकता है और जान को खतरा है जिसकी रिपोर्ट आईजी- सीआईडी, चंडीगढ़ को भी भेज दी गई थी। नरसिंह पर खतरे को देखते हुए नेशनल कैम्प को कहीं और शिफ्ट करने की भी सिफारिश की गई थी। इस बारे में नरसिंह को भी जानकारी दी गई थी और उन्हें कहीं और प्रैक्टिस करने का भी सुझाव दिया गया था। लेकिन खुद महाराष्ट्र पुलिस में कार्यरत नरसिंह ने ओलंपिक को देखते हुये गुरू सतपाल के लोकल प्रभाव क्षेत्र में सोनिपत के इस कैंप को रिस्क लेकर करने का इरादा किया। वैसे इस तरह की घटिया साजिश का शक किसी को नहीं था जो निश्चित तौर पर भारत के खेल इतिहास में एक काले धब्बे की तरह अंकित हो जायगा।
यह भी सुनने में आ रहा है कि रसोइये ने पूछताछ में कुबूल कर लिया है कि वह खाने में ड्रग मिलाता था। वैसे इस प्रकार का शक साई (SAI) कैम्प की एक महिला पर भी जताया जा रहा है। लेकिन यह जानना जरूरी है कि किसके कहने पर वह ऐसा किया करता था। फिर ओलंपिक स्तर के कैंप में खिलाड़ियों को इस तरह गैर- जिम्मेदाराना तरीके से कैसे रखा गया था जहाँ उन्हें किसी तरह का एक्सपोजर या साजिश का शिकार होना पड़ा।
एक बड़ा सवाल है कि अगर नरसिंह इस पर सीबीआई जाँच की माँग कर रहा है तो कौन है जो जाँच नहीं होने देना चाहता है ताकि यह भी पता चले कि कालांतर में और अभी कौन- कौन खिलाड़ी इसके शिकार हुये हैं। सच तो सामने आना ही चाहिये ताकि दागदार होने का अपयश कम से कम बेकसूर पर से धुल जाये।
सबसे अहम सवाल कि खेलमंत्री विजय गोयल के दिल्ली की राजनीति के कारण सतपाल- सुशील से जगजाहिर सहानुभूति के कारण जाँच में कोताही या मनाही तो नहीं की जा रही है? लेकिन इस पूरे मामले में किसकी इज्जत, प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है? यह भी प्रतीत होता है कि जो भी लोग इस पूरे मामले में शामिल हैं उनकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष पहुँच शासन- प्रशासन तंत्र में उपर तक भी है।
ट्विटर पर भी जंग
पिछले दो- तीन महीने से कुश्ती गुरू सतपाल और सुशील को जानने वाले बताते हैं कि वे कितने तल्खी/ तकलीफ/ बेचैनी के साथ वक्त गुजार रहे थे। नरसिंह के डोपिंग के पकड़े जाने के बाद सतपाल- सुशील की 24-25 जुलाई की प्रतिक्रिया पढ़ें:- ….
24 जुलाई का @WrestlerSushil का ट्वीट: “Respect is to be earned not demanded. सम्मान उनके लिए होता है जो इसे कमाते हैं उनके लिए नहीं जो इसे मांगते हैं l Jai Hind!!”
सुशील के इस ट्वीट पर Shaurya Bajpai (@DrShaurya) का जवाबी ट्वीट है: “@WrestlerSushil Even if this unfortunate incident is true. you should not have taken this cheap shot. Narsingh Yadav was representing India.” (अनुवाद: अगर यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना सच है तो भी आपको इस तरह निम्न स्तर का कमेंट नहीं करना चाहिये था। आखिर नरसिंह यादव भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा था)
24 जुलाई को गुरू सतपाल का बयान आता है- “खेल मंत्रालय और कुश्ती महासंघ को रिप्लेसमेंट के बारे में तय करना है। सुशील तैयार है।”
25 जुलाई का @WrestlerSushil का ट्वीट: “very unfortunate 2 see the Wrestling go through this. I hv given my life to ot & wl always support fellow wrestlers.” (अनुवाद: बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है पहलवानों के साथ यह सब। मैने अपनी जिंदगी कुश्ती को दी है और हमेशा अपने साथी पहलवानों का समर्थन करूँगा।)
लेकिन 25 जुलाई की इस ट्वीट के साथ सुशील कुमार का एक विडियो बयान भी अटैच है जिसका ट्रांसक्रिप्शन इस प्रकार है: “दो मेडल लाने के बाद मन था कि तीसरा मेडल देश के लिये लाऊँ। पिछले एक महीने से ओलम्पिक की तैयारियों से दूर हूँ और अब अपने साथी पहलवानों को सपोर्ट करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि वो ओलम्पिक में देश के लिये मेडल लायें।”
एकलव्य की भूमिका में नरसिंह
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुशील अपनी सफलता की सिढि़याँ चढ़ता हुआ इगो और ऑबसेशन का शिकार हो गयये। यही नहीं कुश्ती के मठाधीश इस ससुर- दामाद जोड़ी ने तल्ख तेवर, छोटी मानसिकता और काईंयाँ टाइप दिल- जज्बात का शिकार एक गरीब- मेहनतकश परिवार के बेटे नरसिंह को बना लिया। भारत के मिथकीय इतिहास में जैसे एकलव्य का अंगूठा काट लिया गया था या फिर अभिमन्यु जिसे युद्ध के मैदान में घेरकर मार दिया गया था, ठीक उसी प्रकार नरसिंह को नव शहरी- सामंती- संभ्रांत लोगों ने अपनी साजिश का शिकार बना लिया जिसकी भरपाई वो मरते दम तक शायद ही कर पायें।
हम नरसिंह के साथ
फिलहाल मेरी भावना, संवेदना नरसिंह यादव के साथ है। नरसिंह भाई! तुम्हारी जीत की खुशी मेरी थी और तुम्हारी हार का अफसोस भी मेरा है। तुम्हारे यश और अपयश दोनों में खुद के एक मानवीय संवेदना वाला नागरिक जो कभी एक स्पोर्ट्सपर्सन भी रहा है, भागीदार मानता हूँ। मैं नैतिक तौर तुम्हारे साथ हूँ और बना रहूँगा।
[author image=”https://naukarshahi.com/wp-content/uploads/2016/07/Nikhil-Pics-1.jpg” ]निखिल आनंद एक सबल्टर्न पत्रकार और सामाजिक- राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। इनसे [email protected] और 09939822007 पर संपर्क किया जा सकता है।[/author]