उस दोपहरी जब नवादा के डीएम मनोज कुमार व एसपी विकास वर्मन अपने जवानों को गुंडागर्दी और आतंक मचाने की खुली छूट दे दी तो देखते ही देखते बड़ी दरगाह के दर्जनों घरों में पुलिसकर्मियों ने बेलगाम हो कर न सिर्फ बेगुनाहों पर राइफलों के कुंदों-डंडो से हाथ पांव तोड़ने शुरू कर दिये बल्कि भयावह लूटपाट भी की. एक-एक घर के बंद किवाड़ों को तोड़ा, अंदर घुसे और बूढ़े बच्चे, जवान, औरतें यानी जो भी मिला उस पर हमला बोल दिया. अनेक लोगों की अलमारियां तोड़ीं और जेवरात व पैसे तक लूट लिये. यह घटना 5 अप्रैल को रामनवमी के दिन अंजाम दिया गया.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
पुलिस ऐसा करके दो समुदायों के बीच तनाव को शांत कर रही थी. इससे पहले कुछ पत्थरबाजी की घटना हुई थी. लेकिन उसके बाद जो हुआ वह जिला प्रशासन के काले चेहरे को उजागर करने वाला था. पूरे ढ़ाई घंटे तक लूट, हिंसा और मासूमों की बेरहम पिटाई का दौर चलता रहा. नौकरशाही डॉट कॉम ने इन प्रभावित इलाकों का भ्रमण करके जो पाया वह दिल को दहलाने वाला है. पुलिस जुल्म की ऐसी मिसाल तो अंग्रेजी प्रशासन के अत्याचारी दौर में भी शायद ही देखने को मिला हो. देर से ही सही पर नौकरशाही डॉट कॉम नवादा जुल्म पर परत-दर परत रिपोर्ट अपने पाठकों तक पहुंचाने में जुट गया है. अगले कुछ दिनों में हम पुलिस गुंडई की तमाम कहानियां अपने पाठकों को बतायेंगे. लेकिन इस दौरान मजलूम मुसलमानों की जान, उनकी महिलाओं की इस्मत को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व जद यू के पूर्व स्थानीय विधायक कौशल याद के हौसले और मानवीय संवेदना को बताना जरूरी है. कौशल यादव को जैसे ही पुलिस जुल्म की खबर मिली तो वह समझ गये कि जिला प्रशासन से बात करने से कोई फायदा नहीं होने वाला. क्योंकि जो जिला प्रशासन आम नागरिकों की रक्षा का जिम्मेदार है, खुद वही जुल्म ढ़ा रहा था. लिहाजा कौशल ने सीधा मुख्यमंत्री से बात की. मुख्यमंत्री ने इस काल को कांफ्रेंस पर जोड़वा दिया और बड़े पुलिस अधिकारी को तत्काल इस जुल्म को रोकवाने के लिए कदम उठाने को कहा. आला अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद बड़ी दरगाह पर पुलिस का आक्रमण बंद हुआ. हालांकि इससे पहले जिला पुलिस ने जितना संभव था उतना जुल्म ढ़ा दिा था.
दर असल यह पूरा मामला रामनवमी को ले कर दो समुदायों के बीच, कुछ नफरत और अफवाह फैलाने वालों की सुनियोजित षड्यत्र से शुरू हुआ था. इस षड्यंत्र को कौशल यादव ने बखूबी समझ लिया था. सो उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना साना तान के खड़े हो गये. दंगा भड़काने वालों को कौशल ने न सिर्फ ललकारा बल्कि यह बार बार याद दिलाया कि वह भी हिंदू हैं और राम के भक्त हैं. उन्होंने वहां उमड़ी भीड़ को संबोधित भी किया जिसका वीडियो यूप ट्यूब पर वॉयरल हो चुका है. कौशल ने जिस हौसले और सूझ बूझ से काम लिया उसका नतीजा था कि भीड़ ने ष्डयंत्र को समझ लिया और नवादा जलने से बच गया. हालांकि कौशल यादव के खिलाफ भी इस दौरान खूब दुष्प्रचार किया गया. उनके खिलाफ लोगों को भड़काने की कोशिश की गयी. लेकिन कौशल ने इसकी परवाह नहीं की.
स्थानीय नेता अकबाल हैदर खान बताते हैं कि कौशल यादव ने मजलूमों के लिए मसीहा बन कर सामने आये. वह कहते हैं कि ऐसे हालात में जब खुद जिला प्रशासन, वहां का एसडीओ, एसपी और यहां तक कि डीएम दंगाइयों के समर्थन में उतर आये. जिसका नतीजा यह हुआ कि पुलिस जवानों का दस्ता बड़ी दरगाह के घरों पर आतताइयों की तरह हमला कर बैठा. इकबाल बताते हैं कि इस दौरान पुलिस ने स्थानीय एमएलसी सलमान रागिब के घर पर भी हमला बोला, उनके बहुमंजिले मकान के साज सामान को लाठियों और राइफलों के कुंदों से कूच-कूछ कर तहसनहस किया गया. इतना ही नहीं रागिब के रिश्तेदारों को बेरहमी से पीटा भी गया. यह संयोग था कि उस समय रागिब घर पर मौजूद नहीं थे, वरना यह भी संभव था कि पुलिस उन पर भी हमला कर सकती थी.
पुलिस जुल्म की ऐसी घड़ी में कौशल यादव ने मानवता को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. ध्यान रहे कि कौशल यादव जदयू के पूर्व विधायक हैं. उनके पिता युगल किशोर यादव और मां भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व दशकों तक कर चुके हैं.
नोट- हम आगे अनेक रिपोर्ट में नवादा में पुलिस जुल्म और दंगा की साजिशों से पर्दा उठाती रिपोर्ट एक एक कर अपने पाठकों तक पहुंचायेंगे.