1997-98 के दौरान लगभग एक साल तक प्रधान मंत्री रहे इंद्रकुमार गुजराल नहीं रहे. 30 नवम्बर को उन्होंने आखरी सांस ली.
वह दक्षिण एशिया में शांति के लिए गुजराल डॉक्टररिन के प्रवर्तक माने जाते हैं.
विदेशों से रिश्ते सुधरने के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री गुजराल ने पांच सूत्र दिए थे जिसे गुजराल
डॉक्टररिन के नाम से जानते हैं. इसके अनुसार –
1.बांग्लादेश, भूटान, नेपाल आदि देशों से मधुर सम्बन्ध बनाये रखने में भारत अपनी तरफ से हर सहयोग तो करेगा पर बदले में उन से बहुत अपेक्षा नहीं करेगा.
2.कोई भी दक्षिण एशियाई राष्ट्र एक दुसरे के खिलाफ किसी भी गतिविधि की इजाज़त नहीं देगा.
3.कोई भी राष्ट्र एक दुसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा.
4.दक्षिण एशिया के सभी देश एक दुसरे की सीमाओं का सम्मान करेंगे
5. इस क्षेत्र के सभी देश अपने विवाद आपसी सौहार्द और शांति से खुद ही हल निकलने की कोशिश करेंगे.
उनका पूरा कुनबा कला के क्षेत्र में अपनी बड़ी पहचान रखता है.भाई सतीश गुजराल नामी पेंटर हैं तो उनकी भतीजी मेधा की शादी भजन गयक अनूप जलोटा से हुई है.
गुजराल खुद भी उर्दू और पंजाबी में लिखते थे.गुजराल के दो बेटे हैं नरेश और विशेष गुजराल. नरेश राज्य सभा के मेम्बर भी रहे हैं.
गुजराल प्रधान मंत्री के अलावा विदेश मंत्री भी रहे थे. विदेश मंत्री के रूप में गुजराल तब काफी चर्चा में आये थे जब उन्होंने उस समय के गृह मंत्री की बेटी रुबिया सईद की बेटी, जिन्हें आतंकवादियों न अपहरण कर लिया था, को छोर्वाने के बदले कुछ आतंकवादिओं को रिहा करने का समझौता किया था.