दक्षिण एशिया के विख्यात शायर और ‘तुम कत्ल करो हो के करामात करो हो’ के रचनाकार पद्म श्री कलीम आजिज की मृत्यु हो गयी है. वह बिहार सरकार के उर्दू एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन भी थे.

उर्दू शायरी में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया था. आजिज की मृत्यु हजारीबाग में रविवार सुबह हुई. उनकी मैयत आज पटना लायी जा रही है.
पूरे दक्षिण एशिया और युरोप में विख्यात शायर कलीम आजिज का जन्म 1920 में पटना में हुआ. वह पटना युनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रह चुके थे. खुद पटना युनिवर्सिटी के छात्र रहे आजिज ने बिहार में उर्दू साहित्य के विकास पर पीएचडी की थी और उन्होंने उर्दू साहित्य पर अनेक पुस्तकें लिखीं.
डाक्टर आजिज अपनी शानदार नज्मों के अलावा अपनी खनकदार आवाज के लिए इतने विख्यात रहे कि उन्हें भारत सरकार स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित होने वाले लाल किला के मुशायरे में हर साल बुलाती थी. पिछले एक दशक से अपनी बुजुर्गी और बीमारी की वजह से वह कहीं आना जाना बंद कर चुके थे.
डा. कलीम आजिज की एक नज्म ‘दामन पे कोई छीट न खंजर पे कोई दाग/ तुम कत्ल करो हो के करामात करो हो काफी मशहूर हुई. आजिज के प्रशंसकों में फिराक गोरखपुरी भी रहे हैं.
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