सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कोर्स के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट एनईईटी यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट को खत्म कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एमसीआई के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल काउंसिल कॉमन एंट्रेंस टेस्ट नहीं करा सकती.
तीन जजों की बेंच की ओर से दिए गए इस फैसले पर चीफ जस्टिस अल्तमश कबीर और जस्टिस विक्रमाजीत सेन सहमत थे, तो वहीं जस्टिस अनिल दवे इसके खिलाफ थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक निजी मेडिकल कॉलेज अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षा कराएंगे जबकि राज्य और केंद्र सरकार अपनी प्रवेश परीक्षा अलग से कराएंगी.
ये फैसला उन संस्थानों पर भी लागू होगा जिन्होंने मेडिकल कोर्स के लिए कोई प्रवेश परीक्षा नहीं करवाई है. इससे पहले मई में अपने अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने एमसीआई और निजी कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वो पुराने दिशानिर्देशों के तहत प्रवेश प्रक्रिया शुरू करें. मेडिकल के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले छात्रों का मानना है कि कॉमन एंट्रेस टेस्ट से प्रवेश प्रक्रिया ज्यादा आसान और निष्पक्ष होगी.
कोर्ट ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद एमसीआई की परीक्षा प्रणाली एनईईटी निजी कॉलेजों पर थोपी नहीं जा सकती। खंडपीठ ने कहा कि निजी कॉलेज अपने यहां नामांकन के लिए खुद परीक्षा आयोजित कर सकते हैं. कोर्ट मई में एक अंतरिम आदेश पारित करके एमसीआई और निजी कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे पुराने दिशा निर्देशों के आधार पर परीक्षाएं आयोजित करें। पुरानी प्रणाली के तहत भी एमसीआई, राज्य सरकारें और निजी कॉलेज अपने स्तर पर अलग.अलग परीक्षाएं आयोजित कराती थीं.
यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ था जब एमसीआई ने एमबीबीएस, डेंटल और पीजी मेडिकल पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने का फैसला किया था, जिसे निजी कॉलेजों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
साभार आईबीएन