मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का चुनावी वर्ष का पहला जनता दरबार की अशुभ शुरुआत हुई। फरियाद लेकर आए छपरा के एक युवक ने मुख्यमंत्री पर मामला सुनने के दौरान पर जूता फेंका। हालांकि सुरक्षा बलों की सतर्कता के कारण जूता सीएम तक नहीं पहुंच सका। लेकिन सबसे बड़ी सुरक्षा के घेरे में रहने वाले मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर आकर जूता फेंकने की चेष्टा प्रशासनिक व्यवस्था और लापरवाही की चरम सीमा है। जबकि सीएम दरबार में जाने के पहले फरियादियों की कई स्तर पर जांच-पड़ताल होती है।
प्राप्त समाचार के अनुसार, फरियाद सुनने के दौरान ही युवक ने यह दुसाहस किया। पुलिस पूछताछ से अब जो जानकारी निकल आयी है, उसके अनुसार, छपरा के रहने वाला अमृतेश ने सीएम के जनता दरबार में अपनी शिकायत लेकर आया था। उसने कहा कि दरबार के फरियाद पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि उसने आज पहली बार दरबार में आया था और मानसिक रूप से वारदात के लिए तैयार होकर आया था। अमृतेश के पिता उमेश्वर प्रसाद सिंह आम आदमी पार्टी के नेता हैं।
यह भी कैसी विडंबना है कि नाम अमृतेश है और अपने बयान-गतिविधियों से जहर उगल रहा है। पुलिस उसे गिरफ्तार कर सचिवालय थाने ले गयी। उससे पूछताछ की जा रही है। इसके साथ वारदात के सूत्र तलाशे जा रहे हैं। लेकिन इस घटना से इतना तय हो गया है कि राज्य को एक बार फिर जातीय तनाव के दौर में धकेला जा रहा है। यह संभव है कि वह कुंठा में यह हरकत की हो, लेकिन जो कुछ भी उसने किया, न केवल अपराध है, बल्कि निंदनीय भी।
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