बिहार में लोकसभा की सबसे महत्वपूर्ण सीट रही है नालंदा। पूरे राज्य में यह अकेली सीट है, जिसे कुर्मी प्रभाव वाली सीट माना जाता है। कुर्मी जाति के सभी सामाजिक व राजनीतिक नेता और कार्यकर्ता इसी इलाके के रहने वाले रहे हैं। इसमें नीतीश कुमार भी शामिल हैं। इस संसदीय क्षेत्र में कुर्मी और यादव की बड़ी आबादी है। इस क्षेत्र से लगभग सभी निर्वाचित सांसद यादव या कुर्मी ही होते रहे हैं। जार्ज फर्नांडीज भी इसी क्षेत्र से निर्वाचित होते रहे हैं तो कुर्मी वोट और नीतीश कुमार के भरोसे ही। जिस दिन नीतीश कुमार ने आंख मोड़ लिया, इतिहास बन गये जार्ज फर्नांडीज।
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वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 18
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सांसद — कौशलेंद्र कुमार — जदयू — कुर्मी
विधान सभा क्षेत्र — विधायक — पार्टी — जाति
अस्थावां — जीतेंद्र कुमार — जदयू — कुर्मी
बिहारशरीफ — सुनील कुमार — भाजपा — कोईरी
राजगीर — रविज्योति कुमार — जदयू — पासवान
इस्लामपुर — चंद्रसेन प्रसाद — जदयू — कुर्मी
हिलसा — शक्ति यादव — राजद — यादव
नालंदा — श्रवण कुमार — जदयू — कुर्मी
हरनौत — हरिनारायण सिंह — जदयू — कुर्मी
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2014 में वोट का गणित
कौशलेंद्र कुमार — जदयू — कुर्मी — 321982 (35 प्रतिशत)
सत्यानंद शर्मा — लोजपा — लोहार — 312355 (34 प्रतिशत)
आशीष रंजन सिन्हा — कांग्रेस — कुर्मी —127270 (14 प्रतिशत)
सामाजिक बनावट
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नालंदा लोकसभा की सामाजिक बनावट कुछ ऐसी है कि नीतीश कुमार के कुर्मी उम्मीदवार को यादव उम्मीदवार ही चुनौती दे सकता है। यादव वोटों के भरोसे ही विजय कुमार यादव नालंदा से तीन बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। नीतीश की प्रयोग भूमि भी नालंदा ही रही है। विधान सभा में अभी जदयू के 10 विधायक कुर्मी हैं, उनमें से अकेले 4 इसी संसदीय क्षेत्र से आते हैं। इस क्षेत्र में यादव और कुर्मी वोटरों की संख्या लगभग बराबर है। इस संसदीय क्षेत्र में सवर्णों में सबसे अधिक आबादी भूमिहारों की है। इसके बाद राजपूतों की संख्या है। ब्राह्मण की आबादी भी कम है। अतिपिछड़ों में धानुक, कहार, नोनिया की आबादी काफी है। अनुसूचित जाति में रविदास और पासवान के साथ मुसहरों की भी काफी आबादी है।
नालंदा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान
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नालंदा विश्वविद्यालय के कारण इस संसदीय क्षेत्र की विशेष पहचान है। नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष आज भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राजगीर की अपनी खासियत है। राजगीर का गरम पानी के कुंड का अपना धार्मिक महत्व है। कुंड के पानी को स्वास्थ्य को लिए लाभकर भी माना जाता है।
नीतीश से नयी पहचान
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मूल निवासी नालंदा जिले के ही हैं। इनका अपना विधानसभा क्षेत्र हरनौत पहले बाढ़ विधान सभा के तहत आता था। ये बाढ़ से पांच बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। छठी बार 2004 में नालंदा से निर्वाचित हुए। इसी टर्म में वे मुखयमंत्री बने और फिर लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। बाद में वे विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए।
कौन-कौन हैं दावेदार
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यह सीट अभी जदयू के कब्जे में हैं और उसी के हिस्से में फिर जाएगी। लेकिन जदयू के उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार ही होंगे, अभी तय नहीं है। बताया जाता है कि संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार भी तैयारी कर रहे हैं। उधर, महागठबंधन में यह सीट किसके हिस्से जाएगी, अभी तय नहीं है। लेकिन माना जा रहा है कि इस सीट पर हम अपना दावा जाता रहा है। यह सीट हम के खाते में जाएगी तो इंजी. अजय यादव हम के उम्मीदवार हो सकते हैं। वे पार्टी अध्यक्ष जीतनराम मांझी के करीबी माने जाते हैं और क्षेत्र में श्री मांझी को लेकर दौरा भी कर रहे हैं। कांग्रेस भी इस सीट पर दावा कर सकती है। लेकिन राजद को इस सीट में कोई रुचि नहीं रही है।