पटना में कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को ब्रीफिंग का इंतजार रहता है। हालांकि एजेंडे की टोह बैठक के पहले की शुरू हो जाती है। कभी टोह मिलती है और कभी नहीं मिलती है। बैठक खत्‍म होने के बाद कैबिनेट के प्रधान सचिव एजेंडे के बारे में बताते हैं और महत्‍वपूर्ण एजेंडे के बारे में विस्‍तार से बताते हैं।nasta

वीरेंद्र यादव

 

बैठक के दौरान दो चीज महत्‍वपूर्ण होती है। पहली एजेंडे की कॉपी और दूसरा नाश्‍ते का पैकेट। मुख्‍य सचिवालय के मुख्‍य सभागार में प्रेस ब्रीफिंग होती है। सभी महत्‍वपूर्ण बैठकें भी इसी हॉल में होती हैं। सभी आधुनिक सुविधाओं से  लैस है सभागार। प्रधान सचिव के आने से पहले एजेंडे की कॉपी वितरित कर दी जाती है, ताकि पत्रकार उसका अवलोकन कर लें। प्रधान सचिव एजेंडे पर चर्चा करते हैं। इसी दौरान आता है नाश्‍ते का पैकेट। एजेंडे पर चर्चा के साथ नाश्‍ते का दौर शुरू होता है। प्रेस ब्रीफिंग खत्‍म होते-होते नाश्‍ते का पैकेट भी खाली हो चुका होता है।

 

लेकिन नाश्‍ते के बाद पत्रकारों के पास हाथ मलने का अलावा कोई विकल्‍प नहीं होता है। क्‍योंकि नाश्‍ते के साथ पानी की कोई व्‍यवस्‍था नहीं होती है। हाथ में रस लगा तो रुमाल का इस्‍तेमाल कीजिए और प्‍यास लगी तो कार्यालय या घर जाकर पानी पीजिए। पत्रकारों के लिए बिना पानी का नाश्‍ता की परंपरा चल पड़ी है। पानी की मांग कभी पत्रकारों ने नहीं की और न प्रशासन ने पानी उपलब्‍धता सुनिश्‍चित की। दोनों की आपसी अंडरस्‍टैंडिंग है कि न पानी मांगेगे, न पानी देंगे। खबर दीजिए और खबर लीजिए। और अपनी-अपनी राह चलते बनिए।

By Editor


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