16 साल की गायिका नाहिद के गायन के खिलाफ 46 मुफ्तियों का फतवा फर्जी निकलने पर अरविंद शेष चेता रहे हैं कि मुसलमान   आरएसएस की  नफरत के निशाने पर हैं इसलिए हर कुप्रचार को शक की नजर से देखना जरूरी है.nahid

मुझे नहीं लगता कि नाहिद के खिलाफ कथित फतवा (जो फर्जी निकला) जारी करने वालों को देश के राजनीतिक हालात के बारे में अंदाजा नहीं होगा! अव्वल तो वे सिर्फ इसलिए ही ऐसा कोई फतवा-वतवा जारी नहीं करेंगे! और इसीलिए पहली नजर में ही फतवे की खबर फर्जी लगती है! इसे समझने के लिए मुझे अलग से माथा नहीं लगाना पड़ा!

और अब इस बात की क्या गारंटी है कि अपील का वह पर्चा झूठ की गोएबल्सी राजनीति गढ़ने वाले किसी संगठन ने दीवारों पर नहीं चिपकाया होगा..! 46 ‘संगठनों’ में से सबसे अलग-अलग पूछ के देखिए कि यह क्या है! फिर देखिए कि किसी समुदाय को कैसे कन्फ्यूज किया जाता है!

कल को अगर आईएसआईएस टाइप किसी संगठन का कोई जासूस आरएसएस के नाम से पर्चा चिपका दे तो क्या प्रतिक्रिया होगी..! कहां खोजेंगे पर्चा चिपका ने वालों को! और अगर खुद आरएसएस ने ही ऐसा किया तो..! क्या ऐसा नहीं हुआ है? क्या देश को यही होना है..?

किसी भी धर्म के कट्टर धर्मगुरुओं की हकीकत समझता हूं और उन्हें एक अमानवीय समाज के लिए जिम्मेदार मानने में मुझे कोई हिचक नहीं है! लेकिन कभी-कभार किसी घटना के राजनीतिक परतों को उधेड़ कर देखने की कोशिश कीजिए! बहुत कुछ साफ दिखने लगेगा..!

नाजी हिटलर के सामने यहूदी थे, आरएसएस के सामने मुसलमान हैं! नफरत के निशाने पर मुसलमान सबसे ज्यादा हैं। इसलिए किसी घटना के प्रचार पर शक कीजिए!

By Editor


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