पूर्व मंत्री व विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता परवीन अमानुल्लाह ने निजी अस्पतालों की लूट, धांधली और फर्जीवाड़े के खिलाफ पटना के गर्दनी बाग धरनास्थल पर गुरुवार से आमरण अनशन शुरू कर दिया है.
उनका यह अनशन क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट 2013 को लागू करने तक जारी रहेगा. धरना में उनके साथ अनेक सहयोगी भी शामिल हैं.इससे पहले परवीन अमानुल्लाह ने कहा कि निजी अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों का अंधाधुंद आर्थिक दोहन करते हैं. निजी अस्पताल मरीजों की लूट, गैरजरूरी महंगी जांच और महींगी दवाइयां लिख कर उन्हें लूटते हैं.
उन्होंने कहा कि मरीजों को बिना जरूरत आईसीयू में रख कर हजारों रुपये ऐंठे जाते हैं. उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों की लूट को खत्म करने के लिए जरूरी है कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट 2013 लागू किया जाये.
परवीन अमानुल्लाह के इस आंदोलन को लोगों का भरपूर समर्थन भी मिल रहा है. लोगों को पता है कि निजी अस्पताल और डाक्टर मरीजों का भारी आर्थिक दोहन करते हैं. अमानुल्लाह के समर्थन में लोग फेसबुक पर आवाज उठा रहे हैं और उनके आंदोलन को सपोर्ट कर रहे हैं.
कौन हैं परवीन अमानुल्लाह
परवीन अमानुल्लाह नीतीश कुमार की पिछली सरकार में समाज कल्याण मंत्री रह चुकी हैं, उन्होंने दिल्ली में आप के आंदोलन के समय नीतीश सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उनके इस्तीफे पर नीतीश कुमार ने पुनर्विचार करने को कहा था लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रही हैं. परवीन अमानुल्लाह पूर्व आईएएस अफजल अमानुल्लाह की पत्नी हैं. अफजल बिहार सरकार के स्वास्थ्य सचिव समेत अनेक महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं और हाल ही में रिटायर हुए हैं.
परवीन अमानुल्लाह ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत एक एनजीओ के गठन से की. तब उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा पर खूब काम किया. सार्वजनिक जीवन में मिली पहचान का उन्हें पहली बार 2010 में साकारात्मक परिणाम मिला और वह साहेबपुर कमाल से जद यू की टिकट पर विधान सभा चुनाव जीतीं. उनकी इस कामयाबी के बाद नीतीश कुमार ने कैबिनेट मंत्री बनाया लेकिन जनआंदोलनों और जनपक्ष के लिए समर्ण की उनकी भावना ने उन्हें मंत्री पद पर रहने के बजाये संघर्ष का रास्ता चुनने पर मजबूर कर दिया.
अब देखना है कि परवीन अमानुल्लाह का यह आंदोलन किस मुकाम तक पहुंचता है.
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