बहुजन डाइवर्सिटी मिशन निजी क्षेत्र में दलित वर्गो की भागीदारी को लेकर देश व्यापी मुहिम चलाने की तैयारी में जुट गया है। मिशन के अध्यक्ष एच.एल.दुसाध ने नई दिल्ली में ‘भारतीय सामाजिक संस्थान’ में आयोजित नवें डाइवर्सिटी डे के अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों को आह्रवान किया कि वह निजी क्षेत्र में डाइवर्सिटी के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी मोर्चा बनाने की दिशा में प्रयास करे, क्योंकि मौजूदा सरकारें बाबा सहिब अम्बेदकर द्वारा दिए गए सैंवधानिक आरक्षण को महज कागजों तक सिमटा देना चाहती है।
दलित चितंक व विचारक डा. महेन्द्र प्रताप राना ने कहा कि आज अनुसूचित जाति और जनजातियों से क्रमशः 84 व 47 अर्थात 131 संसद सदस्य चुन कर आते हैं। विभिन्न पार्टियों की विचारधारा से बंधे यह सांसद अपने समुदायों के मुद्दों को ठोस तरीके से रखने में भी कतराते हैं। पत्रकार विजयेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि दलित वर्गो को पिछली कई शताब्दियों से सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पीछे धकेलने के प्रयास किए जा रहे हैं और डाइवर्सिटी से ही वह अपने अधिकारों को पा सकेंगे। दलित ईसाई नेता एवं स्तंभकार आर.एल.फ्रांसिस ने कहा कि भू मंडलीकरण के कारण निजी क्षेत्र का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। आज के समय दलित-आदिवासी आरक्षित मुठ्ठीभर सरकारी नौकरियों के सहारे आगे नहीं बढ़ सकते। डाइवर्सिटी उनके जीवन की जरुरत बन गई है। निजी क्षेत्र में डाइवर्सिटी की मांग करते समय इसमें सामाजिक क्षेत्र को भी शामिल किया जाना चाहिए।
आर.एल.फ्रांसिस ने कहा कि भारत का चर्च संसाधनों के हिसाब से शक्तिशाली संयुक्त संस्थान है, जो बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करवाता है। पिछले कई दशकों से चर्च राष्ट्रीय और अतंरराष्ट्रीय स्तर पर दलित और आदिवासी समूहों के अधिकारों की आवाज उठा रहा हैं। दलित संगठनों को अब चर्च से भी मांग करनी चाहिए कि वह मानवीय आधार पर अपने संस्थानों में इन वर्गो के लिए डाइवर्सिटी लागू करे।भाजपा संसद डा. उदित राज ने डाइवर्सिटी मिशन को आम दलितों के बीच ले जाने और इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने पर बल दिया। कर्यक्रम को प्रोफेसर हेमलता महेश्वरी, डा. कौशिश, शिव बौधी, श्री सुरेश ने सम्बोधित किया।