प्राचार्य नियुक्ति घोटाले में मगध विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति अरुण कुमार की रातों की नींद हराम हैं और विजिलांस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से वारंट लेने की प्रक्रिया भी शुर कर दी है.
दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि अरुण कुमार की ऊंची शख्सियत को देखते हुए वह गिरफ्तारी से बचने के सारे जतन भी कर रहे हैं.
याद रहे कि मार्च 2012 में प्राचार्यों की नियुक्ति में भारी गड़बड़ी के सामने आने के बाद विजिलांस ने पिछले दिनों उनके खिलाफ एफआईआर किया.
एक ही दिन 10 प्राचार्यों का इंटरव्यू से लेकर ज्वाइनिंग तक हो गया. निगरानी के सूत्रों का कहना है कि 2 मार्च, 2012 को इंटरव्यू लिया गया और उसी दिन नियुक्ति की चिट्ठी भी जारी की गई. इतना ही नहीं 10 प्राचार्यों को तो नियुक्ति पत्र भी उसी दिन दे दिया गया और उन लोगों ने उसी दिन ज्वाइन भी कर लिया.
जिस तरह से निगरानी की जांच आगे बढ़ रही है उससे लगता है कि अरुण कुमार जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे. हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि अरुण कुमार को बचाने के लिए कुछ बड़े रसूख वाले लोग भी सामने आ गये हैं. लेकिन निगरानी जीस तरह से आगे बढ़ रही है उससे लगता है कि अरुण कुमार का बचना मुश्किल है.