निलंबित आईपीएस अफसर मंसूर अहमद को आखिरकार बिहार सरकार को ज्वायन कराना ही पड़ा है. अहमद ने गुरुवार को गृह विभाग में ज्वायन कर लिया है.
गौरतलब है कि अहमद को राज्य सरकार ने 21 अप्रैल को निलंबित कर दिया था. इसके बाद अहमद सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल में शिकायत की थी. ट्रिब्युन में इस मामले में सरकार को आड़े हाथों लिया और उनके निलंबन पर सवाल उठाया था.
ध्यान रहे कि आईपीएस अफसर मंसूर अहमद ने बिहार के मुख्यसचिव अंजनी कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने उनके प्रोमोशन के एवज रिश्वत की मांग की थी. कैट ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि राज्य सरकार को इन आरोपों की जांच करनी चाहिए.
ट्रिब्युनल ने केस नम्बर 321/ 2016 में दिये अपने फैसले में कहा है कि आईपीएस अफसर मंसूर अहमद के खिलाफ निलंबन के जो आधार बनाये गये हैं वह बहुत तर्कपूर्ण नहीं हैं. प्रशासनिक मामलों के विषेज्ञों का पहले से ही कहना था कि इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष कमजोर है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष दिसम्बर में एक फैसला किया था जिसमें कहा गया है कि किसी आईपीएस, आईएएस अफसर को एक महीने से ज्यादा दिनों तक निलंबित नहीं रखा जा सकता. साथ ही निलबंन के 48 घंटे के अंदर इसकी सूचना केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेजी जानी चाहिए.
चूंकि मंसूर के मामले में निलबंन की अवधि एक माह 10 दिन हो गयी थी और इस मामले में राज्य सरकार ने कोई और कदम नहीं उठा पायी थी इसलिए भी मंसूर को काफी राहत मिली है.