सारण के निलंबित डीआईजी आलोक कुमार को जहां अदृश्य “हाथ” अब भी बचाने में जुटे हैं वहीं निगरानी अदालत की कार्वाई का शिकंजा उन पर कसता ही जा रहा है.
अदालत ने आदेश दिया है कि आलोक कुमार की आवाज की तकनीकी जांच एक सप्ताह के अंदर पूरी कर ली जाये.
डीआईजी आलोक कुमार एक शराब व्यवसायी से दस करोड़ रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किये जा चुके हैं. पुलिस मुख्यालय की अनुशंसा के बाद गृह विभाग ने उन्हें 5 फरवरी को निलंबित कर दिया था.
इस पूरे मामले में जहां एक तरफ कानूनी और न्यायिक कार्वाई अपनी गति से चल रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ अदृश्य “हाथ” उन्हें बचाने में भी लगे हैं क्योंकि जिन आलोक कुमार के ऊपर दस करोड़ रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किया गाया उनके खिलाफ निगरानी की अदालत में दर्ज मामले में बतौर अभियुक्त नाम ही शामिल नहीं है.
इस बीच मुजफ्फरपुर की निगरानी अदालत द्वारा डीआइजी आलोक कुमार की अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई के बाद खारिज कर दी गई है. न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह ने आदेश में कहा है कि इस वाद में दर्ज धारा गंभीर प्रकृति के हैं. लेकिन आवेदक का नाम अभियुक्तों की सूची में नहीं है.
शराब व्यवसायी टुन्ना जी पांडेय ने पुलिस मुख्यालय में शिकायत दर्ज करायी थी को आलोक कुमार और उनके कारिंदे फोन से दस करोड़ रिश्वत की मांग कर रहे हैं.इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने आलोक के मोबाइल को सर्विलांस पर लेकर जांच की थी और त्तकाल उन्हें पटना तलब कर लिया गया था.