मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निश्चय यात्रा महागठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली यात्रा है। यह गैरराजनीतिक और सरकारी यात्रा है, जिसका मकसद विकास योजना का स्थल निरीक्षण है। इसके साथ ही सरकारी कार्यशैली की निगरारी, अभिनव प्रयोगों का जायजा लेने के साथ ही साथ जनता के साथ खुद को जोड़ना है। हालांकि निश्चय यात्रा सत्तारूढ पार्टी जदयू, साटी यानी सहयोगी दल राजद व कांग्रेस के प्रचार-प्रसार का भी मजबूत माध्यम बन गया है। मुख्यमंत्री के तय सरकारी कार्यक्रमों में तीनों दलों के झंडों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
वीरेंद्र यादव
निश्चय यात्रा- 1
11 नवंबर को हम मुजफ्फरपुर की यात्रा में शामिल हुए। मुजफ्फरपुर में सरकारी तौर पर 5 कार्यक्रम तय थे। कार्यक्रम स्थल के बीच दूरी और समय कम होने के कारण दो कार्यक्रमों में पहुंच पाए। मुरौल प्रखंड की इटहा और मुरौल पंचायतों में आयोजित कार्यक्रमों में हम शामिल नहीं हो पाए। सिकंदरपुर स्टेडियम परिसर के पास बने जिला निबंधन और परामर्श केंद्र का निरीक्षण तथा पुलिस लाइन मैदान में आयोजित चेतना सभा में ही शामिल हो पाए। हालांकि शाम होने और पटना लौटने की हड़बड़ी में हम मुख्यमंत्री का संबोधन शुरू होने से पहले ही सभा स्थल से निकल गए।
सर्किट हाउस बना सचिवालय
हम करीब सुबह आठ बजे मुजफ्फरपुर पहुंचे। गोवरसही से सर्किट हाउस की ओर पैदल ही चले। रास्ते की पूरी साफ-सफाई। सर्किट हाउस में भीड़ जुटने लगी थी कि लेकिन आम लोगों को अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। गेट पर राजद, जदयू व कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हंगामे के बाद कुछ लोगों को अंदर जाने दिया गया। उसी भीड़ में हम भी अंदर प्रवेश किए। अंदर में मिनी सचिवालय का नजारा था। वित्त मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी, राजस्व व भूमि सुधार मंत्री मदन मोहन झा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, डीजीपी पीके ठाकुर, सीएम के सचिव अतीश चंद्रा व मनीष वर्मा, ओएसडी गोपाल सिंह मीणा, मुजफ्फरपुर के प्रमंडलीय आयुक्त, अमृतलाल मीणा, दीपक प्रसाद आदि मौजूद थे। करीब दस बजे सीएम का काफिला मुरौल के लिए प्रस्थान किया। हम वित्त मंत्री के साथ निकलना चाह रहे थे कि लेकिन वित्त मंत्री, भूमि सुधार मंत्री और मुख्य सचिव मुख्यमंत्री की गाड़ी में ही सवार हो गए। इसलिए मुरौल जाना अब हमारे लिए संभव नहीं रह गया था।
कार्यालय का कायाकल्प
हम सर्किट हाउस से निकलकर सिकंदरपुर स्टेडियम के लिए प्रस्थान किये। वहां जिला निबंधन और परामर्श केंद्र का नजारा एकदम बदला हुआ था। एकदम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कार्यालय। एक ही ड्रेस में सभी कंप्यूटर ऑपरेटर। युवाओं से जुड़ी सभी योजनाओं का अलग-अलग कार्यालय और काउंटर। युवाओं और छात्रों की भी भीड़ लगी हुई है। करीब एक बजे सीएम पहुंचे और कार्यालय का निरीक्षण किया। वे काउंटर पर खड़े छात्र, निबंधन कर रहे कर्मचारी और अधिकारियों से इस संबंध कई प्रकार की जानकारी हासिल की। वहां से मुख्यमंत्री सर्किट हाउस लौट गए और हम पुलिस लाइन मैदान की ओर प्रस्थान किये।
पार्टी रैली में तब्दील हुई चेतना सभा
पुलिस लाइन मैदान महिलाओं से भरा हुआ था। चेतना सभा के लिए लोग जुटे हुए थे। जीविका की महिलाएं और स्कूली छात्रों की बड़ी तादाद थी। चेतना सभा स्थल जदयू, राजद और कांग्रेस पार्टी की सभा में तब्दील हो चुकी थी। महागठबंधन के तीनों दलों के झंडों से पूरा सभा स्थल पटा हुआ था। हालांकि झंडा लगाने में राजद पिछड़ गया। मुख्यमंत्री करीब तीन बजे सभा स्थल पर पहुंचे। जिलाधिकारी धर्मेंद्र सिंह ने उनका स्वागत किया। जदयू की ओर से भी सीएम को शॉल भेंट किया गया। प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी के कारण सरकारी कार्यक्रम एक पार्टी की रैली में तब्दील हो गया और कार्यक्रम के पहुंचे श्रोता पार्टी कार्यकर्ता के तरह विकास की गाथा सुनते रहे।