प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां नवगठित राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) की पहली बैठक में देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ आर्थिक हालात और आगामी बजट पर गहण मंत्रणा के साथ ही सहकारी संघवाद और विकास के लिए राज्यो के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की वकालत की।
योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग के गठन के बाद प्रधानमंत्री पहली बार इसके कार्यालय आये थे। प्रधानमंत्री इस आयोग के अध्यक्ष हैं। उन्होंने अर्थशास्त्रियों के साथ विचार विर्मश किया है, जिसमें सरकार को उच्च विकास की दिशा में काम करने स्थिर कर तंत्र वित्तीय अनुशासन और तीव्र इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर ध्यान केन्दि्रत करने के सुझाव दिये गये। श्री मोदी ने अर्थशास्त्रियों से कहा कि नीति आयोग का एक मुख्य उद्देश्य बहुआयामी संस्थागत तंत्र बनाना है, जहां सरकारी तंत्र से बाहर के प्रबुद्ध व्यक्तियों की नीति निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित हो सके। उन्होंने परिचर्चा के क्षेत्र का उल्लेख करते हुये सहकारी संघवाद पर जोर दिया और राज्यों के बीच विकास के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की वकालत की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक हालात का लाभ उठाते हुये लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत को तीव्र विकास की दरकार है। उन्होंने सरकार की हाल की योजनाओं प्रधानमंत्री जन धन योजना स्वच्छ भारत मिशन और रसोई गैस सब्सिडी के प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण का उल्लेख करते हुये अर्थशास्त्रियों से सुझाव मांगे।
आधिकारिक बयान के अनुसार, परिचर्चा के दौरान अर्थशास्त्रियों ने तीव्र आर्थिक विकास की दिशा में सरकार को काम करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने स्थायी कर तंत्र वित्तीय अनुशासन और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में गति लाने की भी अपील की। अर्थशास्त्रियों ने अर्थव्यवस्था से जुडे विभिन्न क्षेत्रों को लेकर कई सुझाव दिये।