हर नौकरशाह के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विश्वास जीतना आसान नहीं, लेकिन भूकम्प की त्रासदी ने आईएएस अरविंद चौधरी की,  नीतीश ने जो अग्निपरीक्षा ली उसमें उन्होंने शानदार परफॉर्म किया है.

Arvind Kumar Chaudhary, IAS 1995
Arvind Kumar Chaudhary, IAS 1995

इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन

आम तौर पर चुनैतिया अवसर ले कर आती हैं. लेकिन इन चुनौतियों से निपटना और इसमें अवसर पैदा करने का हुनर सबके पास नहीं है. लेकिन उत्तर बिहार और नेपाल के भूकम्प के बाद के हालात ने परिवहन विभाग के सचिव और 1995 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अरविंद कुमार चौधरी के लिए एक गंभीर चुनौती  थी. नीतीश कुमार ने चौरी को भूकम्प राहत के लिए विशेष सचिव बना कर रक्सौल भेजा था. चौधरी के सामने इतनी गंभीर चुनौती इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि नीतीश ने खुद उनमें भरोसा जताया था.

हालांकि नौकरशाही के गलियारे के सूत्र बताते हैं कि नीतीश पिछले कुछ वर्षों से अरविंद चौधरी से नाराज चल रहे थे और उन्हें विशेष जिम्मेदारी सौंपने से गुरेज भी करते थे लेकिन अचानक उन्होंने जब उनपर भरोसा जताया तो निश्चित तौर पर अरविंद उनके भरोसे की अग्निपरीक्षा में खरा उतरने में कामयाब रहे. इतना ही नहीं, सूत्र यहां तक बताते हैं कि अरविंद के इस कामयाब मिशन पर, न सिर्फ मुख्यमंत्री खुश हुए बल्कि कुछ खास लोगों के बीच उनकी तारीफ भी कर डाली.

विदेशी भी हुए कायल

यह अलग बात है कि रक्सौल के इस राहत मिशन में मंत्री रमई राम ने राजनीति की ऐसी मिर्ची भी {विजय चौधरी को जिला प्रभारी बनाये जाने पर इस्तीफे की धमकी दे कर} फेंटने की कोशिश की कि नीतीश झुल्ला भी गये. पर मामला बाद में शांत भी हो गया. लेकिन इस पूरे मिशन में अरविदं छह दिन- छह रात की नींद गंवा कर 5 हजार लोगों को सलामत बिहार ले आने में सफल रहे. इतना ही नहीं अरविंद की ब्युरेक्रिटक काबिलियत का जादू ऐसा चला कि इस मिशन में 17 अन्य देशों के 30 पर्यटक भी उनके कायल हुए बिना नहीं रह सके. अरविंद खुद बताते हैं, “इन 30 विदेशी पर्यटकों में दर्जन भर ऐसे थे जो कठमंडू से लौटने के बाद भारत भ्रमण का अपना प्लान छोड़ कर डायरेक्ट अपने वतन लौट जाना चाहते थे लेकिन जब हमने उनो एविकुएट करने से लेकर रहने, खाने, दवा और उनके गंतव्य तक पहुंचाने का इंतजाम किया तो वह इतने खुश हुए कि उन्होंने भारत भ्रमण न करने की अपनी इच्छा त्याग दी”.

कैसे किया कमाल

एक तरफ भयावह भूकम्प की त्रासदी में हजारों बिहारी कठमांडु में फंसे पड़े थे. उनमें सैकड़ों घायल और बीमार थे . दूसरी तरफ भूकम्प की त्रासदी पर मंत्री रमई राम ने राजनीतिक बयान दे कर भाजपा को मसाला दे दिया था. इन सब बातों से बे परवाह पतली काया के 45 वर्षीय अरविंद ने बतौर प्रभारी सचिव मोर्चा संभाल लिया. उन्होंने नेपाल के अफसरों समेत रेलवे, जिला प्रशासन, विदेश मंत्रालय और यहां तक कि प्रभावित नागरिकों से तालमेल और सामंजस्य का चौकस प्रबंध किया. 91 बसों के काफिले को कठमांडु भेज कर लोगों को रक्सौल लाना. उनका इलाज कराना. बच्चों समेत एक-एक प्रभावित को खाने से लेकर रात को ठहरने का इंतजाम करना. पीड़ितों को फिर रक्सौल से विशेष ट्रेनों से उनके घर तक पहुंचाना. ये सारे काम लगातार पांच दिन और पांच रातों तक खुद अपनी मौजूदगी में अरविंद ने करवाये. इस छह दिवसीय मिशन को याद करते हुए अरविंद बताते हैं- “हमने ऐसी परफेक्ट व्यस्था की कि रात को कठमांडू से 1300 लोग पहुंचते और सुबह छह बजते-बजते हमारी टीम उन्हें उनके घरों तक सकुशल रवाना कर देती. हमने विशेष, ट्रेनों को रिशिड्युल्ड किया और राहत कैम्पों से ही उन्हें रेलवे मुफ्त टिकट दिलाया ताकि वे अपने घरों को आसानी से पहुंच सकें. इस प्रकार हमने बिहार और भारत के अन्य हिस्सों के पांच हजार लोगों समेत 17 देशों के 30 से ज्यादा पर्यटकों कोसुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाया” .

अरविंद के नेतृत्व में किये गये इस चुनौतीपूर्ण काम की तारीफ खुद प्रभावित लोगों ने जम कर की. अरविंद बताते हैं कि उनके चेहरों पर सलामत बचने का संतोष तो था ही, उन्हें यह जान कर सुखद आश्चर्य तब होता था जब उन्हें पता चलता था कि रक्सौल में उनके रहने, खान, इलाज से लेकर उनके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम भी सरकार ने कर रखा है.

रतजगा

अरविंद को इस मिशन को मॉनिटर करने के लिए तीन दिन के लिए भेजा गया था. लेकिन उन्होंने रक्सौल में छह दिन बिताये. लगातार छह दिनों तक 20 घंटे तक व्यस्त रहे अरविंद एक सवाल के जवाब में बताते हैं. “रात में हम लोग शिफ्टवाइज सोते थे. इस प्रकार 3-4 घंटे हम नींद ले पाते थे. इन दिनों में मेरी हालत ऐसी रही कि मुझे याद भी नहीं था कि कौन सा दिन और कौन सी तारीख ती.  दिन और तारीख का पता तो मुझ 3 मई को चला जब मैं पटना वापस आया”.

अरविंद स्वाकर करते हैं कि इस काम में उन्हें तमाम विभागों के अफसरों ने बहुत सहयोग किया.  उन्होंने खास कर इस मिशन में  लगे स्पेशल डीएम श्रीर और स्पेशल एसपी निशांत तिवारी की प्रशंसा की.

हो सकता है कि अरविंद को आईएएस परीक्षा की तैयारी के दौरान महज तीन घंटे सोने की आदत रही हो और शायद उसी भाव से उन्होंने राहत मिशन पर काम भी किया हो. लेकिन जब पिछले दिनों वह पटना पहुंचे तो इस मिशन के पूरे होने के बाद इस मामले पर मीटिंग हुई. इस मीटिंग में खुद नीतीश कुमार मौजूद थे. इस सफल मिशन पर नीतीश कुमार ने  भी संतोष व्यक्त किया. सूत्र बताते हैं कि अरविंद के इस कामयाब मिशन पर कुछ खास लोगों के बीच नीतीश ने अरविंद की तारीफ भी की.

By Editor

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