दिल्ली में 4 दिसम्बर को हो रहे विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के लिए लिटमस टेस्ट साबित होंगे. भाजपा से जुदाई के बाद यह जद यू का पहला चुनाव है.

दिल्ली में चुनावी सभा( फोटो साभार टेलिग्राफ)
दिल्ली में चुनावी सभा( फोटो साभार टेलिग्राफ)

विनायक विजेता

अब जबकि दिल्ली में होने वाले विधान सभा चुनाव के मतदान में महज दो दिन शेष रह गए हैं तो यह सवाल उठ रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव की तरह क्या दिल्ली में भी नीतीश कुमार या उनकी पार्टी का जादू चल पाएगा?

दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए 4 दिसम्बर को मतदान होना है. जदयू ने दिल्ली विधान सभा की कूल सत्तर सीटों में से 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं पर अगर जदयू एक सीट पर भी कब्जा कर ले तो उसकी बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी.

हालांकि तीन सीटों पर जदयू उम्मीदवार संघर्ष में दिख रहें हैं। दिल्ली में अबतक जदयू का कोई वजूद या जनाधार नहीं रहा है। लोजपा से जदयू में आने वाले राज्य सभा सदस्य और दिल्ली प्रदेश जदयू के अध्यक्ष साबिर अली जोड़-तोड़ की राजनीति कर जदयू को मजबूत करने का प्रयास तो जरुर किया है पर उनका प्रयास क्या रंग लाएगा यह देखने की बात होगी.

साबिर का भी इम्तेहान

साबिर अली के प्रयास से ही मटिया महल क्षेत्र से चार बार विधायक रहे शोहेब एकबाल और जामा मस्जिद क्षेत्र के पार्षद खुर्रम इकबाल सहित कई लोगों ने पार्टी बदल जदयू की सदस्यता ली है। शोएब को मटिया महल जबकि खुर्रम इकबाल को चांदनी चौक से प्रत्याशी बनाया गया है। शोएब इकबाल पहली बार 1993 में जनता दल के टिकट पर मटिया महल से चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस का दामन थाम लिया पर वह वहां भी ज्यादा दिन न टिके और लोजपा की सदस्यता ले ली। जदयू ने पूर्व में दिल्ली की सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी पर पार्टी को अन्य सीटों के लिए प्रत्याशी ही नहीं मिले। दिल्ली के पांच पूर्व विधायक और चार वर्तमान पार्षदों के बलबूते 27 सीटों पर चुनाव लड़ रहे जदयू नेता यूं तो दावा कर रहें हैं कि दिल्ली के 1 करोड़ 15 लाख मतदाताओं में से 30 लाख मददाताओं का समर्थन जदयू को प्राप्त है। पर दिल्ली से मिली खबर के अनुसार जदयू के प्रत्याशी सिर्फ मटिया महल, ओखला और किरादी बुरारी सीट पर ही संघर्ष में दिख रहे हैं बाकी 24 सीट पर चुनाव लड़ रहे जदयू प्रत्याशी अगर अपनी जमानत भी बचा लें तो यह पार्टी के लिए उपलब्धि होगी।

मटिया महल से जदयू प्रत्याशी अबतक सबसे मजबूत स्थिति में हैं। सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार को भी उम्मीदवारों की स्थिति का पता है इसलिए उन्होंने दिल्ली में सिर्फ पांच विधान सभा क्षेत्र (द्वारिका, संगम बिहार, ओखला, किरादी बुरारी ओर घोढा) में ही जनसभाएं कीं। सूत्र बताते हैं कि जदयू ने पूर्व से इस चुनाव की तैयारी भी नहीं की थी जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। दिल्ली से मिल रही खबर के अनुसार यहां की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए दिल्ली का चुनाव क्वार्टर फाइनल के रुप में देखा जा रहा है कि भाजपा से अलग होने के बाद जदयू की क्या स्थिति रहती है।

By Editor


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