मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव चंचल कुमार। 1992 बैच के आइएएस अधिकारी। आइआइटी कानुपर के छात्र रहे। करीब डेढ़ दशक से नीतीश कुमार के विश्वासपात्र। एनडीए सरकार में नीतीश जब केंद्र में मंत्री बने थे, तभी चंचल कुमार उनके करीब आए थे और तब से कुछ समय को छोड़ लगातार उनके सचिवालय से जुड़े रहे हैं। कई वर्षों तक सचिव के रूप में काम करने के बाद पिछले 24 जून को चंचल कुमार ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव का पदभार संभाला। डीएस गंगवार के शिक्षा विभाग में प्रधान सचिव बनने के बाद सीएम का प्रधान सचिव का पद रिक्त था। जून माह में चंचल कुमार को सचिव से प्रधान सचिव के रूप में पदोन्नति मिली।
वीरेंद्र यादव
चंचल उस दौर में प्रधान सचिव बने हैं, जब नीतीश कुमार अपनी छवि विस्तार की कवायद कर रहे हैं। नया चेहरा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजनीति में नयी पहचान के लिए नये-नये तरीके ढूंढ रहे हैं। शरद यादव की जगह नीतीश कुमार का जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना इसी बेचैनी की अभिव्यक्ति थी। नीतीश शराबबंदी के एजेंडे को सामाजिक एजेंडा बताकर राष्ट्रव्यापी अभियान में जुट गए हैं। नीतीश कैबिनेट के किसी सदस्य का कोई राजनीतिक चेहरा नहीं है। सभी नीतीश की छाया में अपनी पहचान तलाशते नजर आ रहे हैं। वैसी स्थिति में स्वाभाविक है कि प्रशासनिक कार्यों में मुख्यमंत्री सचिवालय की भूमिका बढ़ जाती है। इसके साथ ही प्रधान सचिव चंचल कुमार की भी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
महत्वाकांक्षाओं पर सान (धार) की जरूरत
तब सवाल उठता है कि चंचल कुमार सीएम नीतीश के राजनीतिक, प्रशासनिक और सत्ता संतुलन के कार्यों को कितनी क्षमता के साथ निपटा पाएंगे। सीएम नीतीश प्रशासनिक कौशल और विश्वसनीयता के कारण ही चंचल कुमार को अपने साथ वर्षों से जोड़े हुए हैं। अब जबकि नीतीश कुमार जदयू के विस्तार के लिए नयी रणनीति और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी नयी भूमिका की तलाश में जुटे हैं, वैसी स्थिति में ‘सात सर्कुलर रोड’ की जिम्मेवारी बहुत बढ़ गयी है। स्वाभाविक है कि सात सर्कुलर रोड के प्रशासनिक प्रमुख चंचल कुमार हो गए हैं, इस कारण उनकी जवाबदेही भी बढ़ गयी है। देश में बदलते राजनीतिक समीकरण में नीतीश के बढ़ते हस्तक्षेप के बीच चंचल कुमार की भूमिका भी समय के साथ बढ़ती जाएगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।