नीतीश-मांझी राजनीतिक जंग में अब राज्यपाल के आलावा तीसरा आयाम जुड़ गया है.अदालत ने नीतीश की रणनीति को जबर्दस्त धक्का देते हुए विधायक दल का उनको नेता चुने जाने को ही गौरकानूनी करार दे दिया है.
पटना हाई कोर्ट ने साफ कहा है कि जब मुख्यमंत्री मौजूद है तो विधायक दल का फिर से नेता चुना जान गलत है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने उनके जदयू विधायक दल का नेता चुने जाने पर रोक लगा दी है.
जदयू के ही विधायक राजेश्वर राज ने इस फ़ैसले को चुनौती दी थी. पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष शरद यादव की ओर से बुलाई गई बैठक में नीतीश कुमार को दल का नेता चुना गया.
गौरतलब है कि मांझी समर्थक और काराकाट से विधायक राजेश्वर राज ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुने जाने को चुनौती दी थी. इसमें कहा गया था कि नीतीश कुमार दोबारा विधायक दल के नेता नहीं चुने जा सकते है हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार केवल मुख्यमंत्री को ही होता है। ऐसे में बिना मुख्यमंत्री की अनुमति के विधायक दल की बैठक संवैधानिक तौर पर अवैध है.
अदालत के इस फैसले से नीतीश कुमार को करारा झटका लगा है. नीतीश फिलहाल अपने 120 से ज्यादा एमएलए के संग दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. वह इनको दो हवाई जहाज में भरकर दिल्ली ले गये जहां उनका आज राष्ट्रपति से मिलने का कार्यक्रम है. ऐसे में इसी बीच अदालत के इस फैसले ने नीतीश की तमाम रणनीति पर पानी फिर गया है. अदालत इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को करेगा.