बिहार प्रदेश जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक सतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश चुनाव में जदयू के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले को शर्मनाक एवं हस्यास्पद बताते हुए कहा कि यह फैसला संगठन विस्तार के दृष्टिकोण के साथ – साथ राष्ट्रीय विकल्प बनने की दिशा में आत्मघाती कदम है।
श्री कुमार ने कहा कि साहू जी पटेल व फूले के अनुयायियों को बड़ी मशक्कत एवं भरोसा दिलाकर नीतीश कुमार के कृतित्व को बुलंद करने के इरादे से यूपी में कार्य किया गया। परिणामस्वरूप ऐतिहासिक रैली वाराणसी के पिंडरा में 12 अप्रैल 2016 को हुई। उसके पश्चात कई रैलियां और हुर्इं। विधान सभावार कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ। लेकिन यूपी मामले में नीतीश कुमार के सलाहकार आर सी पी सिन्हा और के सी त्यागी के कार्यकर्ता विरोधी रवैये ने जदयू को राजनीतिक जोकर बना दिया। उन्होंने कहा कि श्री के सी त्यागी अपने मित्र राजनाथ सिंह के कूटनीतिक चाल में एवं आर सी पी सिन्हा ने अपने पुराने बॉस बेनी प्रसाद वर्मा के लिए जदयू के कार्यकर्ताओं को चौराहे पर खड़ा कर दिया।
श्री कुमार ने कहा कि दोनों ने ऐसा कर नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को कलंकित कर दिया। इससे नीतीश कुमार की छवि धूमिल हुई। साथ ही राष्ट्रीय नेतृत्व में बढ़ती संभावानाओं पर विराम लगा दिया और भाजपा को सत्ता के लिए अवसर प्रदान कर दिया। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए बिहार में महागठबंधन किया गया। उसे लात मारने वाले नेता को फिर से अवसर देना जदयू के लिए आत्मघाती होगा। जदयू से जुड़े पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा समुदाय के राजनीतिक कार्यकर्ताओं के सम्मान एवं स्वाभिमान को जातीय उन्मादी नेतृत्व के पास गिरवी बना देना कत्तई स्वीकार्य नहीं होगा। इसके दोषी के सी त्यागी और आर सी सिन्हा को पार्टी के स्वाभिमानी कार्यकर्ता भी बर्दाश्त नहीं करेंगे।